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Deputy CM : रॉबिनहुड मंत्री का खामियों पर सवाल,एसीएस का बवाल!

  • डॉक्टरों के तबादले पर सवाल
  • डिप्टी सीएम ने तलब किया ब्योरा
  • नीति का पालन नहीं किए जाने के आरोप
  • मृत डिप्टी सीएमओ का भी तबादला कर दिया
  • ट्रांंसफर में खामी पर पीएमएस असोसिएशन ने सौंपा प्रत्यावेदन

Deputy CM :  लखनऊ। सूबे की बदहाल मेडिकल व्यवस्था को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रॉबिनहुड स्टाइल में ठीक करने की मुहिम को मेडिकल सिंडीकेट को रास नहीं आ रही है। तभी तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के भगीरथी प्रयासों पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं। न तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के जांच के आदेशों पर कार्रवाई हो पा रही है और न ही डाक्टरों के तबादलों में कोई रायशुमारी की जा रही है। अपर मुख्य सचिव की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

बताते चलें कि उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक हो या फिर राज्य स्वास्थ्य मंत्री मंयकेश्वर शरण सिंह हों, सभी ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए कई पत्र लिखे हैं। लेकिन लम्बे समय से इसी विभाग में डटे अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद की मंत्रियों के पत्र पर तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ा। उलटे मंत्रियों के हर आदेश को हवा में उड़ा रहे हैं। शासन के सूत्रों का कहना है कि अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वाथ्य अमित मोहन प्रसाद की काफी शिकायतें हैं। लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त ने भी एक मामले की जांच की थी। लेकिन की जांच रिपोर्ट पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सियासी ताकत से मिलते रहे मलाईदार पद

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अगर आप 1989 बैच के अमित मोहन प्रसाद के कैरियर ग्राफ पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि कितने प्रभावशाली हैं। कितने ही विवाद हों, लेकिन तैनाती मिलेगी मलाईदार पदों पर। 1990 में आजमगढ़ में अस्टिेंट मजिस्ट्रेट के पद से कैरियर का सफर शुरू हुआ। आगरा में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट, फतेहपुर में प्रोजेक्ट डायरेक्टर, अलीगढ़ में एमडी पशुधन उद्योग निगम, गोरखपुर में सीडीओ, लखनऊ में स्माल इंडस्ट्रीज, टूरिज्म, महिला कल्याण निगम, निदेशक समाज, कल्याण, विशेष सचिव गृह, जालौन में डीएम और मिर्जापुर, मेरठ में भी डीम रहे हैं। इसके साथ ही लेबर, खेल विभाग, सचिव बोर्ड ऑफ रेवन्यू, केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर इंडियन ऑयल, हेल्थ एंड फैमली वेलफेयर से वापसी के बाद प्रमुख सचिव कृषि के पद पर तैनात किए गए। इस पद पर तैनाती के बाद खूब अनियमितताओं की शिकायतें हुई, जिसके बाद तबादला दिल्ली में निवेश आयुक्त बनाए गए। इसके साथ ही कुछ समय बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा के सीईओ और नोयडा मेट्रो रेल के एमडी बनाए गए। 2017 में फिर प्रमुख सचिव कृषि के पद पर तैनाती की गई। पूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार द्वारा की गई एक मामले में अनियमितता की जांच में दोषी पाए गए थे। लेकिन यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद हटाकर प्रमुख सचिव मेडिकल, हेल्थ एंड फैमली वेलफेयर के पद पर तैनाती की गई। वरिष्ठï आईएएस अमित मोहन प्रसाद के कैरियर से साफ पता चलता है कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन महत्वपूर्ण पदों पर हमेशा तैनाती मिलती है। सूत्रों का कहना है कि केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल रहे एक मंत्री के रिश्तेदार होने के कारण हमेशा मलाईदार पदों पर तैनाती मिलती है। 

 

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स्वास्थ्य मंत्री और एसीएस के बीच चल रहा है लुका-छिपी का खेल सूबे के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने 20 मई को दवाओं के सप्लाई कॉरपोरेशन का निरीक्षण किया। मौके पर उन्हें 16.40 करोड़ रुपये की एक्सपायर्ड दवाएं मिलीं। उन्होंने जांच करवाई। समिति ने कुछ ही दिन में जांच रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन डेढ़ महीने से कार्रवाई का इंतजार हो रहा है। 25 जून को लखीमपुर में लावारिस ट्रक में सरकारी एक्सपायर्ड दवाएं मिलीं। मामले में सीएमओ से दो दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी। रिपोर्ट भेजी भी गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सच तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग मिलने के बाद उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने लखनऊ समेत कई जिलों के अस्पतालों का दौरा किया, गड़बडिय़ां भी पकड़ीं, लेकिन दोषियों के खिलाफ  कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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आरोप है कि शासन और मेडिकल विभाग के आला अऊसरों के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। ड्रग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ही हैं, जिनसे तबादलों पर अब उप मुख्यमंत्री ने जवाब मांगा है। हाल यह है कि बीते तीन महीने में उपमुख्यमंत्री ने करीब एक दर्जन मामलों में कार्रवाई के लिए खुद आदेश दिए, लेकिन नतीजा शून्य रहा।  देवरिया में ठेले से पत्नी को अस्पताल का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन तक ले जाने के प्रकरण समेत कुछ मामलों में खुद डिप्टी सीएम को दोबारा जांच के आदेश देने पड़े।  सूत्रों का कहना है कि मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की सप्लाई और आउटसोर्स पर कर्मचारियों को उपलब्ध करवाने का एक कॉकस अड़ंगा। लगा रहा । इस तंत्र के साथ अधिकारियों और कर्मचारियों की सांठ-गांठ के आरोप कई बार लग चुके हैं। सूत्रों का दावा है कि इस तंत्र की पैठ विभाग में इतने गहरे तक है कि इन पर कार्रवाई हो पाना इतना आसान नहीं है।

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योगी सरकार के पहले कार्यकाल में बृजेश पाठक कानून मंत्री थे। उन्होंने कोरोना काल में स्वास्थ्य महकमे पर खूब सवाल खड़े किए थे। उन्होंने एसीएस स्वास्थ्य को पत्र लिखकर अधिकारियों के एम्बुलेंस के लिए फोन न उठाने जैसी तमाम बातों पर नाराजगी जताई थी। कोरोना प्रबंधन के लिए उन्होंने अपनी विधायक निधि से एक करोड़ रुपये भी दिए थे। तब भी अमित मोहन प्रसाद ही एसीएस स्वास्थ्य थे। अमित मोहन 14 फरवरी 2020 से इसी महकमे में हैं। तब वह प्रमुख सचिव थे। सूबे के उप मुख्यमंत्री Brijesh Pathak ने अपने ही विभाग में हुए तबादलों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद से सभी तबादलों का कारण स्पष्ट करते हुए पूरा ब्योरा मांगा है।

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उन्होंने तबादलों के कारण बनी स्थिति, तबादलों के लिए व्यक्ति विशेष के चयन के पैमाने और डॉक्टरों की अलग-अलग स्थानों पर संबद्धता के बारे में भी जवाब तलब किया है। Deputy CM ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है Brijesh Pathak कि तबादला नीति का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से कई लोग डिप्टी सीएम से मिलकर तबादला नीति का पालन न किए जाने की शिकायत कर रहे थे। उन्होंने कई सबूत भी पाठक को सौंपे डिप्टी सीएम ने कहा कि लखनऊ सहित प्रदेश के कई जिलों से विशेषज्ञ डॉक्टरों के तबादले अन्य जिलों में कर दिए गए, लेकिन उनकी जगह दूसरा विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात नहीं किया गया। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं को ठीक तरह से चलाने के लिए क्या व्यवस्था की गई, यह भी बताया जाए। कोर्स में सात विशेषज्ञों का तबादला बलरामपुर अस्पताल में डीएनबी हुआ। उनकी जगह पर अस्पताल को एक विशेषज्ञ ही मिला। डॉक्टरों के तबादले हुए, जबकि उनके स्थान सिविल अस्पताल से छह विशेषज्ञ बदले एक भी तैनाती नहीं हुई।

लोकबंधु राज नारायण चिकित्सालय से तीन विशेषज्ञों के तबादले हुए, लेकिन आया एक भी नहीं। तैनाती की मियाद पूरी होना ही बताया जा रहा है। Deputy CM की जानकारी में यह भी लाया गया है कि जिनका तबादला समयावधि को लेकर किया गया है, उनसे ज्यादा वक्त से जिले व मंडल में तैनात लोग अब भी स्थानांतरित नहीं हुए हैं। ऐसे में डिप्टी सीएम ने अपर मुख्य सचिव से पूछा है कि क्या यह सुनिश्चित कर लिया गया है कि तबादला किए जाने वाले डॉक्टरों से ज्यादा अवधि का कोई चिकित्सा अधिकारी जिलाए मंडल व अस्पताल में अब तैनात नहीं है। इसके अलावा पाठक ने संबद्धता पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि कई डॉक्टर विभिन्न संस्थानों से संबद्ध हैं। ऐसे में उनकी संबद्धता पर फैसला कब तक होगा।

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तबादलों पर अपने ही महकमे से Deputy CM बृजेश पाठक द्वारा जवाब तलब करने के वाद अब उसका जवाब तैयार करवाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने डीजी हेल्थ को आदेश दिए हैं कि वह Deputy CM द्वारा मांगा गया विवरण तैयार करवाएं और जवाव दें। इसके पहले सोमवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने तवादलों पर सवाल उठाए थे और उन्होंने तवादलों की पूरी रिपोर्ट मांगी थी।  बारावंकी के डिप्टी सीएमओ रहे डा. सुधींद्र सिंह का भी तबादला कर दिया गया, जबकि उनका निधन बीमारी की वजह से 12 जून को हो चुका है।

पीएमएस एसोसियेशन ने जो मामले सौंपे हैं, उनमें कहा गया है कि डॉ. पिंकी जो लेवल दो की चिकित्सा अधिकारी हैं, उन्हें ट्रांसफर करते हुए लेवल एक का बताया गया है। डॉ. निशांत लेवल तीन के चिकित्सा अधिकारी हैं, जबकि उन्हें लेवल एक का अधिकारी बताते हुए ट्रांसफर किया गया है। ऐसे ही और भी प्रकरण हैं । मंगलवार को आदेश पहुंचने के वाद निदेशालय में रिपोर्ट तैयार करवाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। मंगलवार को भी ट्रांसफर हुए तमाम डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपनी आपत्तियों के साथ निदेशालय पहुंचे और उन्होंने अपनी-अपनी अर्जियां दीं। मंगलवार को प्रयागराज में तबादलों के मसले पर Deputy CM ने कहा कि हमारे पास शिकायतें आई थीं। हमने इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट आने दीजिए। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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