राजनीतिराष्ट्रीय

उजाला योजना के सात वर्ष पूरे, सालाना 44.78 अरब यूनिट बिजली की बचत

नयी दिल्ली। केंद्र सरकार के ऊर्जा-दक्षता और सस्ते एलईडी वितरण कार्यक्रम उजाला के सात वर्ष पूरे हो गए है और बिजली मंत्रालय का दावा है कि इससे वार्षिक 44.78 अरब यूनिट बिजली की बचत हुई है। मंत्रालय ने इस अवसर पर जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि उजाला के तहत देश भर में 36.78 करोड़ एलईडी प्रकाश उपकरण वितरित किए गए है। मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘उजाला कार्यक्रम ने प्रति वर्ष 4,777.80 करोड़ यूनिट ( किलोवॉट/घंटा) ऊर्जा की बचत और कार्बन डाइआक्साइड (सीओ2 ) उत्सर्जन में 3.86 करोड़ टन की कमी संभव हो सकी है।’’ उन्होंने कहा है कि उजाला की अहम उपलब्धियों से स्वदेशी प्रकाश उद्योग को गति मिलेगी, नियमित थोक खरीद के जरिये निर्माताओं को लागत-लाभ मिलेगा। केंद्र का यह भी कहना है कि सभी राज्यों ने उजाला को सहर्ष लागू किया और इससे घरों के वार्षिक बिजली बिल कम आने लगे हैं।

मंत्रालय के अनुसार अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इस कार्यक्रम की सफलता का अध्ययन कर रहा है तथा इसे हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल करने पर विचार हो रहा है।निम्न आयवर्ग के समुदाय की उन्नति के लिये समावेशी वृद्धि रणनीति के अंग के रूप में ईईएसएल ने उजाला कार्यक्रम के तहत एलईडी बल्बों के वितरण के सम्बंध में स्वसहायता समूहों को पंजीकृत किया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जनवरी, 2015 को उन्नत ज्योति बाय एफर्डेबल लेड्स फॉर ऑल (उजाला–सबके लिये सस्ते एलईडी द्वारा उन्नत ज्योति) का शुभारंभ किया था। छोटी अवधि में ही कार्यक्रम दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सब्सिडी प्राप्त स्वदेशी प्रकाश कार्यक्रम बन गया है। अब तक देशभर में 36.78 से अधिक एलईडी लाइटों का वितरण किया गया है।वर्ष 2014 में उजाला योजना एलईडी बल्बों की खुदरा कीमत को नीचे लाने में सफल हुई थी। एलईडी बल्बों की कीमत 300-350 रुपये प्रति बल्ब से कम होकर 70-80 रुपये प्रति बल्ब पहुंच गई।

मंत्रालय का अनुमान है कि ऊर्जा बचत से 9,565 मेगावॉट बिजली की जरूरत कम हुई और इससे 3,86 करोड़ टन सीओ2 (कार्बन डाई-ऑक्साइड) की कटौती हुई। इस कार्यक्रम के लिए औद्योगिक प्रतिस्पर्धा और थोक खरीद के बढ़ने से ईईएसएल (एनर्जी एफीशियंसी सर्विसेज लिमिटेड) ने अनोखी खरीद रणनीति अपनाई है, जिसके परिणामस्वरूप चिर-परिचित लाभ प्राप्त हुये हैं। इस कार्यक्रम से इससे स्वदेशी प्रकाश उद्योग को गति मिलती है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन मिलता है, क्योंकि एलईडी का स्वदेशी निर्माण एक लाख प्रति माह से बढ़कर चार करोड़ प्रति माह पहुंच गया है। उजाला की बदौलत नियमित थोक खरीद के जरिये निर्माताओं को लागत-लाभ प्राप्त होता है। इससे वर्ष 2014 और 2017 के बीच इसका खरीद मूल्य 310 रुपये से घटकर 38 रुपये हो गया है। इस तरह लगभग 90 प्रतिशत की कमी आई है।

अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इस कार्यक्रम की सफलता पर अध्ययन कर रहा तथा इसे हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल करने पर विचार हो रहा है। निम्न आयवर्ग के समुदाय की उन्नति के लिये समावेशी वृद्धि रणनीति के अंग के रूप में ईईएसएल ने उजाला कार्यक्रम के तहत एलईडी बल्बों के वितरण के सम्बंध में स्वसहायता समूहों को पंजीकृत किया है।

Related Articles

Back to top button