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आतंकियों के ‘मददगार’ अखिलेश और जमीयत ? एक वापस ले रहा था मुक़दमे, दूसरा दे रहा कानूनी मदद

लखनऊ: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने आतंकी वलीउल्लाह की फाँसी की सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। मदनी ने कहा है कि उन्हें देश की ऊपरी अदालतों पर पूरा भरोसा है। इसलिए वह लोअर कोर्ट के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें निचली अदालतों ने सजाएँ दीं, लेकिन जब वे मामले ऊपरी अदालतों में गए तो पूरा इंसाफ हुआ।

मदनी ने कहा कि इसका एक बड़ा उदाहरण अक्षरधाम मंदिर हमले का है, जिसमें लोअर कोर्ट ने मुफ्ती अब्दुल कय्यूम सहित तीन लोगों को फाँसी और चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मगर जमीयत की कानूनी मदद से जब यह मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय  में पहुँचा, तो ये सारे लोग न सिर्फ सम्मानपूर्वक बरी हुए, बल्कि निर्दोषों को आतंकवाद के आरोप में फँसाने पर कोर्ट ने गुजरात पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई थी। उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद की विशेष सत्र न्यायालय के जज जितेंद्र कुमार सिन्हा ने सोमवार (6 जून, 2022) को 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में दोषी पाए गए वलीउल्लाह को फाँसी की सजा सुनाई थी। वलीउल्लाह यूपी के फूलपुर का निवासी है। जमीयत उलमा-ए-हिंद पिछले 10 सालों से उसे कानूनी मदद उपलब्ध करा रहा है। बता दें कि इन धमाकों में 27 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 160 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

बता दें कि, 7 मार्च, 2006 को भगवान शिव की नगरी वाराणसी बम धमाकों से दहल उठी थी। 2012 में बनी समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार ने इस मामले के आरोपित ‘मुस्लिमों’ पर से मुक़दमे हटाने के लिए कदम उठाए थे। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। कई जिलों की अदालतों में आरोपितों के खिलाफ मामले विचाराधीन थे। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार के कदम से बम धमाकों की साजिश रचने वालों को और बढ़ावा मिलेगा। इस मामले में बम स्टोर करके रखने वाले वहीदुल्लाह और शमीम को उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने रिहा करने की काफी कोशिश की थी।

जिसके बाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सपा सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा था कि सरकार कैसे ये फैसला ले सकती है कि कौन आतंकी है और कौन नहीं ?   हाई कोर्ट ने कहा था कि ये फैसला अदालत का है। हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या सरकार ऐसे कदम उठा कर आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहती है। आज मुक़दमे वापस लिए जा रहे और कल उन्हें पद्मा भूषण दे दिया जाएगा।

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