उत्तर प्रदेशलखनऊ

Ias Officer : अनगिनत दाग बने सफलता की सीढ़ी!

  • एपीसी के बाद अब सीएस की कुर्सी पर नजर
  • संवाददाता

Ias Officer : लखनऊ। आप मानो या न मानो, लेकिन यह कटु सत्य है कि अगर आप साम, दाम, दण्ड और भेद के माहिर खिलाड़ी हैं तो भले ही आपके दामन कितने ही दाग लगे हों, वे उपलब्धियां बन जाते हैं। 1988 बैच के वरिष्ठï Ias Officer मनोज कुमार सिंह इसकी बानगी हैं। बीते 16 के कार्यकाल में जिन-जिन विभागों में तैनात रहे वहां अनियमितताओं की बाढ़ आई। तमाम आरोप और दाग के बावजूद तीन-तीन महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी ढो रहा यह खिलाड़ी अफसर कई तगड़े दावेदार अफसरों को पीछे कर एपीसी अर्थात कृषि उत्पादन आयुक्त का पद प्राप्त कर मुख्य सचिव की कुर्सी हासिल करने की अर्हता प्राप्त कर ली है।

उल्लेखनीय है कि 1988 बैच के वरिष्ठï Ias Officer अपर मुख्य सचिव Ias Manoj kumar singh के पास पंचायतीराज, ग्राम्य विकास विभाग हैं। कृषि उत्पादन आयुक्त बनाने के बाद से इनसे राजस्व विभाग का अतिरिक्त प्रभार वापस ले लिया था। सबसे खास बात यह है कि यह तीनों विभाग काफी महत्वपूर्ण और सीधे जनता से जुड़े हैं। लेकिन इन विभागों का अमूमन कार्य ठप रहता है। इसकी वजह यह है कि इन अपर मुख्य सचिव महोदय के पास इन वर्क लोड अत्याधिक है। अपना पूरा समय मनरेगा आफिस में अपने कुछ खास करिंदों के साथ बीता है।

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अगर आप इन आईएएस महोदय के कैरियर के इतिहास पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि मायावती सरकार में ग्राम्य विकास आयुक्त रहने के दौरान यूपी का सबसे चर्चित मनरेगा घोटाला हुआ था। मायावती सरकार के दौरान एक महिला ने अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया था। उस समय मायावती सरकार ने जांच के आदेश दिए थे। लेकिन प्रभावशाली और ताकतवर होने के कारण मामला दब गया था। जिस विभाग में मनोज कुमार सिंह की तैनाती हो, वहां या तो कोई अफसर इस्तीफा देता है या फिर लम्बी छुट्टïी पर चला जाता है। विभाग में टेक्नीकल एक्सपर्ट के तौर पर तैनात अनूप द्विवेदी आईईसी 2009 से कार्यरत थे उनको नवम्बर 2017 में विभाग के प्रमुख सचिव और विकास रस्तोगी और आदित्य विद्यासागर की मनमानियों के चलते इस्तीफा देना पडा।

अनूप द्विवेदी ने अपने इस्तीफे में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना स्वच्छ भारत मिशन को लेकर कई आरोपों का जिक्र अपने त्याग पत्र में किया है। पूर्व में समेकित वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) में पूर्व सीईओ आनंद कुमार सिंह पर भी गलत भुगतान करने के लिए दबाव बनाया गया था, लेकिन आनंद कुमार सिंह दबाव के आगे नहीं झुके। अखिलेश सरकार ने इनके कारनामें देखते हुए Ias Manoj kumar singh को हटा दिया था। इसी तरह उद्यान विभाग में तैनाती के दौरान पूर्व निदेशक हरि शंकर पाण्डेय ने मनोज कुमार सिंह के खिलाफ बगावत कर दी थी। मनोज कुमार सिंह के कारनामों को लेकर पूर्व निदेशक उद्यान ने शासन को कई पत्र लिखे थे। नगर विकास विभाग में तैनाती के दौरान पीसीएस एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष अब प्रोन्नत आईएएस एसोसियेशन के अध्यक्ष उमेश प्रताप सिंह स्वच्छ भारत मिशन नगरीय निदेशालय के निदेशक पद पर तैनाती के दौरान गलत भुगतान और दूसरी अनियमितताओं को लेकर खूब शीत-युद्घ हुआ था।

शासन के सूत्रों का कहना है कि इस हरफन मौला अफसर की सरकार में तूती बोलती है। पूर्ववर्ती सरकारों में मंत्री भी इनके प्रभाव के आगे नतमस्तक थे, वहीं हाल इस सरकार में भी है। अनगिनत दामन पर दाग के बावजूद कोई सुनवाई नहीं है। प्रभाव का असर यह है कि मुख्य सचिव की कुर्सी तक पहुंचाने का माध्यम कृषि उत्पादन आयुक्त का पद है। अपने कौशल और बाहुबल से यह कुर्सी हासिल कर ली है। इस कुर्सी को प्राप्त करने के लिए कई वरिष्ठï अफसरों को साइड लाइन किया गया है। मुख्य सचिव की कुर्सी हासिल करना अगला टारगेट है। उम्मीद की जा रही है आगामी छह माह के अंदर यह अफसर अपना लक्ष्य हासिल कर लेगा।


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