नूपुर शर्मा को कुछ हुआ तो क्या दोनों जज लेंगे जिम्मेदारी ? सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों द्वारा भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा पर की गई टिप्पणी के बाद अदालत में मुख्य न्यायाधीश (CJI) के सामने गौ महासभा के अध्यक्ष अजय गौतम ने एक हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में बताया गया है कि आखिर किस प्रकार नुपूर शर्मा का न्यायपालिका से गुहार लगाना जायज था, मगर उनके ऊपर जजों की तरफ से की गई टिप्पणियाँ नाजायज थीं। अपने शपथपत्र से पहले अजय गौतम ने एक याचिका दाखिल की थी, जिसमे भी माँग की गई थी कि न्यायधीश अपने बयानों को वापिस लें। अब अदालत में दाखिल किए गए इस ताजा हलफनामे में मामले से जुड़ी विस्तृत जानकारी और वाजिब सवाल शामिल हैं।
अपने हलफनामें में याचिकाकर्ता ने नुपूर शर्मा मामले के पूरे घटनाक्रम को बिंदुवार ढंग से बताते हुए सवाल किया है कि आखिर बगैर किसी ट्रायल या अपील के अदालत ये निष्कर्ष कैसे निकाल सकती है कि उदयपुर हत्या की असली गुनहगार नुपूर हैं। उन्होंने, दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों और लखनऊ में कमलेश तिवारी के क़त्ल जैसी घटनाओं का जिक्र करके सवाल किया कि क्या उसके पीछे भी नुपूर शर्मा ही हैं। अजय गौतम के हलफनामे में पुछा गया है कि जिस प्रकार दोनों जजों ने कन्हैयालाल की हत्या को जस्टिफाई किया है, वैसे में यदि नुपूर शर्मा के साथ कुछ भी गलत होता है, तो क्या उसका जिम्मेदार न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जेबी परदीवाला को ठहराया जाएगा। क्या यदि जजों की टिप्पणी के बाद कोई ईंशनिंदा के लिए कोई किसी को आहत करेगा, तो उसके लिए दोनों जज जिम्मेदार माने जाएँगे?
अजय गौतम ने अपने हलफनामे में ये भी कहा है कि जजों बयान से देश में सुरक्षा का खतरा उत्पन्न हो गया है। जो मामला अब तक ठंडा था, वो इस टिप्पणी के बाद देश में आरोप-प्रत्यारोप का खेल बन चुका है। यदि इसी प्रकार बयानबाजी करनी थी, तो अदालत में जज होने की जगह इन लोगों को राजनेता होना चाहिए था। हलफनामे में ये भी सवाल किया गया है कि क्या जजों के पास ऐसे बयान देने का अधिकार है? यदि नहीं तो फिर इस तरह न्यायपालिका की शक्तियों का गलत इस्तेमाल करके क्यों देश को ऐसी स्थिति में ला दिया गया है, जो देश में दंगे तक करवा सकता है।
हलफनामे में कहा गया है कि दोनों जजों ने पहले ही ये सोचा हुआ था कि नुपूर शर्मा के संबंध में उन्हें क्या कहना है, जबकि वास्तविकता यह है कि देश में हो रही हत्याओं के लिए नुपूर शर्मा नहीं, बल्कि तालिबानी सोच जिम्मेदार है जो देश में पनपने लगी है। हलफनामे में आगे वे तमाम जहरीले बयान उदाहरण के रूप में पेश किए गए हैं, जिन्हें आज तक कट्टरपंथी खुलेआम देते रहे हैं, मगर उन पर कार्रवाई नहीं होती। इस सूची में अकबरुद्दीन ओवैसी का वो बयान भी शामिल है, जिसमें उन्होंने हिंदू देवताओं का अपमान करते हुए कहा था कि वो लोग 15 मिनट में हिंदुओं को देश से साफ कर देंगे। इसी प्रकार जामा मस्जिद के इमाम पर 50 से अधिक FIR दर्ज हुई, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
अजय गौतम ने अपने शपथपत्र में कहा कि उनके पास इस मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। उनका आग्रह है कि उनकी याचिका पर गौर किया जाए और न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति परदीवाला को उनका बयान वापस लेने के लिए निर्देश दिए जाएँ। इसके साथ ही नुपूर शर्मा की याचिका पर चीफ जस्टिस स्वत: संज्ञान लेकर सभी मामलों को एक जगह जोड़ दें और कोई भी ऐसा निर्देश दे दें जो तथ्यों तथा परिस्थितियों को भाँपते हुए उचित लगे।
नूपुर शर्मा मामले में याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
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