उत्तर प्रदेशलखनऊ

IOB:लखनऊ बैंक लॉकर चोरी: महीनों बाद भी न्याय का इंतजार, एक पीड़ित ने दी जान

IOB:लखनऊ, लखनऊ के मटियारी स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) में पिछले साल हुई करोड़ों की लॉकर चोरी के मामले में पीड़ितों को महीनों बाद भी न्याय नहीं मिल पाया है। चोरी हुए आभूषणों और नकदी की वापसी के इंतजार में एक बुजुर्ग लॉकर धारक ने तो सदमे में आकर अपनी जान तक दे दी। यह घटना पुलिस और बैंक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है, क्योंकि बरामद माल भी अभी तक पीड़ितों को नहीं सौंपा गया है।

क्या थी घटना?

यह सनसनीखेज चोरी 21 दिसंबर को मटियारी पुलिस चौकी से चंद कदमों की दूरी पर स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में हुई थी। चोरों ने बैंक के 42 लॉकर काटे थे, जिनमें से 40 सक्रिय थे। इन लॉकरों से करोड़ों रुपये के जेवर, नकदी और अन्य कीमती सामान गायब हो गए थे। ग्राहकों की सूची के अनुसार, बैंक को लगभग 16 किलो सोने-चांदी और नकदी की चोरी की सूचना दी गई थी।

पुलिस की कार्रवाई और बरामदगी

पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए अरविंद कुमार, बलराम कुमार, कैलाश बिंद, विपिन कुमार और मिथुन को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा, सोबिन्द कुमार और सन्नी दयाल नामक दो बदमाश पुलिस मुठभेड़ में मारे भी गए थे। पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने लगभग 6 किलो सोना, 14 किलो चांदी और 13 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। हालांकि, इस बरामदगी के बावजूद, पीड़ितों को उनका सामान वापस नहीं मिल पाया है।

पीड़ितों का दर्द और अधिकारियों की उदासीनता

चोरी की इस वारदात ने कई परिवारों की जीवन भर की कमाई को छीन लिया है। पीड़ितों का आरोप है कि बैंक और पुलिस अधिकारी उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं और केवल ‘प्रक्रिया चल रही है’ का रटा-रटाया जवाब देते हैं।

  • कुलदीप राज की दुखद आत्महत्या: चिनहट के आनंद लोक कॉलोनी में रहने वाले 73 वर्षीय कुलदीप राज (HAL से सेवानिवृत्त) का IOB में लॉकर नंबर 57 था। उनके लॉकर से लगभग 26 लाख रुपये कीमत की पुश्तैनी जूलरी चोरी हो गई थी। अपनी जीवन भर की कमाई और पुश्तैनी निशानी खोने के सदमे में उन्होंने कुछ महीने पहले फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनके बेटे विकास महाजन आज भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं।
  • मनीष श्रीवास्तव का इंतजार: चिनहट के गहमरगंज इलाके के व्यापारी मनीष श्रीवास्तव का लॉकर नंबर 53 था। उन्होंने कई बार बैंक और पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया है, लेकिन हर बार उन्हें यही आश्वासन मिलता है कि जल्द ही जूलरी की पहचान कर उसे वापस कर दिया जाएगा।
  • राम लखनऊ वर्मा और नारायण देवी की चिंता: चिनहट के कमता इलाके के राम लखनऊ वर्मा और उनकी पत्नी नारायण देवी का लॉकर नंबर 63 था, जिसमें लाखों रुपये की पुश्तैनी जूलरी रखी थी। उनका बेटा राहुल लगातार अपनी जूलरी वापस पाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन बैंक और पुलिस अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं।
  • मोहित प्रकाश वंश को नहीं बुलाया गया शिनाख्त के लिए: मटियारी के मोहित प्रकाश वंश का लॉकर नंबर 76 था, जिसमें लगभग 16 लाख रुपये की जूलरी थी। उन्हें बताया गया था कि 10 जुलाई को बरामद जूलरी की शिनाख्त के लिए बुलाया जाएगा, लेकिन आज तक पुलिस ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है।

पीड़ितों का कहना है कि उनकी गाढ़ी कमाई और पुश्तैनी चीजें वापस पाने के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। यह मामला न केवल वित्तीय नुकसान का है, बल्कि इसने लोगों का बैंकों और कानून व्यवस्था पर से विश्वास भी डिगा दिया है। क्या इन पीड़ितों को कभी न्याय मिल पाएगा? यह एक बड़ा सवाल है।

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