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विद्यालयों के समाजोपयोगी आविष्कारों को जनोपयोगी बनाया जाए : आनंदीबेन पटेल

  • राज्यपाल ने जय नारायण मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संस्थापक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया
  • शिक्षा प्रत्येक राष्ट्र के लिए विकास और सशक्तीकरण का आधार है
  • निजी और सरकारी स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता के बढ़ते अंतर को मिटाना होगा
  • ऑनलाइन शिक्षण-प्रशिक्षण को मजबूत करने के लिए अध्यापकों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाए

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त जय नारायण मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय (के.के.सी.), लखनऊ के संस्थापक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रत्येक राष्ट्र के लिए विकास और सशक्तिकरण का आधार है। अच्छी शिक्षा के द्वारा ही समाज में प्रेम, सद्भाव और मानवता का संदेश फैलाया जा सकता है।

शैक्षणिक संस्थानों और शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में व्याप्त भारी अंतर को लक्ष्य करते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हमने सबके लिए शिक्षा प्राप्ति पर तो ध्यान दिया, लेकिन सबके लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा का लक्ष्य अभी भी दूर है। उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के बढ़ते अंतर को मिटाना होगा। सरकारी स्कूलों को भी साधन सम्पन्न बनाकर उनकी शिक्षा गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।

कोरोना काल में प्रभावित हुए शिक्षण कार्यों पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह समय शिक्षण कार्य को बनाए रखने के लिए चुनौतीपूर्ण था। इस समय सर्वाधिक आवश्यकता ऑनलाइन शिक्षण की हुई, जो कि आगे भी बनी रहेगी। राज्यपाल  ने कहा कि जो शिक्षक ऑनलाइन शिक्षण के लिए पर्याप्त तकनीकी ज्ञान से युक्त नहीं हैं उन्हे प्रशिक्षण देकर ऑनलाइन शिक्षण प्रक्रिया से जोड़ा जाए।

जयनारायण मिश्र पी.जी. कालेज

अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने शिक्षण में नई शिक्षा नीति की उपयोगिता के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किए जा रहे समाजोपयोगी कार्यों की चर्चा भी की। उन्होंने बताया कि प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों के लिए खेल-सामग्री, शुद्ध पानी, बाल शिक्षण साहित्य तथा केन्द्र की अन्य व्यवस्थाओं में बड़े स्तर पर सहयोग कर इन केन्द्रों को सुसज्जित किया गया। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों ने दीक्षांत समारोह के दौरान गांव के बच्चों को भी शामिल किया और उन्हें आवश्यक पठन-पाठन तथा अन्य सामग्री की किट भी प्रदान की गई।

 

राज्यपाल ने उच्च शिक्षण संस्थाओं में हो रहे नवीन समाज उपयोगी शोध कार्यों की व्यापक मार्केटिंग कराकर उन्हे सामाजिक उपयोगिता में उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा विद्यालयों के समाजोपयोगी अविष्कारों को जनोपयोगी बनाया जाए। राज्यपाल ने कहा कि शोध में ऐसे विषयों को जोड़ा जाना चाहिए, जिसका किसानों, ग्रामीण महिलाओं और समाज को व्यापक लाभ मिल सके। राज्यपा  ने शिक्षण संस्थानों द्वारा क्षय रोग ग्रस्त बच्चों को गोद लेकर स्वास्थ्य लाभ होने तक उनके पोषण और चिकित्सा में सहयोग करने की भी सराहना की।

अपने संबोधन में राज्यपाल ने इस समय राजभवन में 4 मार्च, 2022 से चल रही तीन दिवसीय शाक-भाजी पुष्प प्रदर्शनी का जिक्र करते हुए पौष्टिक भोजन में सलाद की उपयोगिता को भी बताया और भविष्य में इससे सम्बन्धित कार्यक्रम आयोजन की मंशा को भी व्यक्त किया।

राज्यपाल जी ने समारोह में महाविद्यालय के मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक तथा प्रमाण पत्र प्रदान किए। उन्होंने वर्ष 2020 से अब तक सेवानिवृत शिक्षकों को अंगवस्त्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समारोह में उन्होंने महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका “ज्योति किरण” तथा 4 जर्नल के साथ विद्यालय के चार शिक्षकों द्वारा लिखी 4 पुस्तकों का विमोचन भी किया।

 

 

समारोह में कॉलेज की प्राचार्या डॉ0 मीता शाह ने वर्ष 2020 से अद्यतन वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्ष 1917 में स्थापित यह लखनऊ का सबसे पुराना महाविद्यालय है जो लखनऊ विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा संयुक्त महाविद्यालय है। उन्होंने बताया वर्ष 2015 में नैक प्रव्यायन में महाविद्यालय को “ए” श्रेणी प्राप्त हुई थी। वर्तमान में इसमें दस हजार से अधिक विद्यार्थी और लगभग 150 शिक्षक हैं। समारोह में महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष वी. एन. मिश्रा तथा प्रबंधक जी.सी. शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर महाविद्यालय तथा अन्य विद्यालयों से आए अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षकगण एवं  विद्यार्थी उपस्थित थे।

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