बसपा से निकाले गए सतीश चंद्र मिश्र !
- स्टार प्रचारकों की सूची और महासचिव के पद से हटाए जाने की सूचना
- बीएसपी की ऑफिसियल वेबसाइट बीएसपीइंडियाडॉटओरजी नहीं है वर्किंग में
- अब बीएसपी की ऑफिसियल वेबसाइट बहुजनसमाजपार्टीडॉटनेट
अभय राज
लखनऊ। शिखर से शून्य तक पहुंची बहुजन समाज पार्टी ने अपने चाणक्य सतीश चंद्र मिश्र को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। भले ही अभी अधिकृत घोषणा नहीं की है लेकिन लोकसभा की दो सीटों के उपचुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की सूची से चाणक्य का नाम गायब है। बसपा सुप्रीमो मायावती के इस फैसले के पीछे पराम्परगत वोट बैंक को वापस लाने और सतीश चंद्र मिश्र से पीछा छुड़ाने की मंशा छिपी बताई जा रही है।
बताते चलें कि 2007 में यूपी में बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। जबकि इससे पूर्व तीन बार गठबंधन की सरकार बनी थी। 2007 की सरकार में प्रचारित किया गया था कि बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने में दलित-ब्राह्मïण सोशल इंजीनियरिंग का हाथ था। इसके बाद 2007 से बसपा बहुजन से सर्वजन की विचार धारा में बदल गई। इसका यह नतीजा रहा है कि बसपा से धीरे-धीरे पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और दलित का मोहभंग शुरू हो गया। 2022 में हुए यूपी विधान सभा के चुनाव में बसपा का राजनीतिक पतन इतना हो गया कि मात्र एक विधायक ही जीत पाया। इसमें बसपा नेतृत्व का जनता के बीच से गायब होना और ब्राह्मïण विरोध पर खड़ी होने वाले पार्टी वर्चस्व की वजह से दलित वोट काफी नाराज हो गया। इसका परिणाम यह रहा कि यूपी में 22.5 प्रतिशत दलित वोट बैंक में से 10 फीसदी वोट भाजपा के साथ चला गया। इससे बसपा को काफी राजनीतिक नुकसान हुआ। जबकि बसपा के चाणक्य सतीश चंद्र मिश्र ने 2022 के विधान सभा चुनाव में अपने परिवार के साथ ही बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था, लेकिन उनकी यह मेहनत भी बसपा को नहीं जिता पाई।
बसपा सूत्रों का कहना है कि 2022 के विधान सभा चुनाव के परिणाम बसपा के लिए टर्निंग प्वाइंट बन गया है। चुनाव परिणाम के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती को एहसास हो गया कि अगर सतीश चंद्र मिश्र पार्टी रहे तो राजनीतिक अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसके बाद बसपा सुप्रीमो ने पार्टी के अंदर सफाई अभियान छेड़ा। जिसमें सबसे पहले सतीश चंद्र मिश्र के करीबी नकुल दुबे को बाहर का रास्ता दिखाया। इससे सतीश चंद्र मिश्र को संकेत मिल गए थे कि बसपा में उनका राजनीतिक खेल खत्म हो गया है। बसपा ने आजमगढ़ लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इसमें बसपा की राष्टï्रीय अध्यक्ष मायावती समेत 40 नामों की सूची है। लेकिन इसमें बसपा के महासचिव के सतीश चंद्र मिश्र का नाम गायब है। उपचुनावों से परहेज करने वाली बसपा आजमगढ़ की लोकसभा सीट पर फतेह के लिए खुद मैदान में उतरेंगी। एक विशाल रैली भी करेंगी। इस रैली के जरिए संदेश देंगी कि दलित और मुस्लिम अगर एक साथ आ जाएं तो भाजपा को शिकस्त दी जा सकती है। साथ ही बसपा से दूर हो रहे परम्परागत दलित वोट बैंक को थामा जा सके।
बसपा के कई पदाधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टार प्रचारक से नाम हटाने के साथ ही महासचिव पद से भी हटा दिए गए हैं। बसपा की ऑफिसियल वेबसाइट बीएसपीडॉटओआरजी काम नहीं कर रही है। पहले इस वेबसाइट पर पार्टी के पदाधिकारियों का पूर्ण विवरण होता था। लेकिन अब यह काम नहीं कर रही है। इसकी जगह बसपा ने अब बहुजनसमाजपार्टीडॉटनेट ऑफिसियल हो गया है। इस वेबसाइट पर मात्र बसपा की राष्टï्रीय अध्यक्ष मायावती के अतिरिक्त किसी का भी विवरण नहीं है। बसपा के इस फैसले की अधिकृत जानकारी के लिए बसपा के पदाधिकारियों और सतीश चंद्र मिश्र से सम्पर्क करने पर भी उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।