गांधी की आड़ लेकर उपद्रवियों ने फूंक डाले देश के ’50 लाख करोड़’ रुपए ! GPI की रिपोर्ट में खुलासा
नई दिल्ली: गांधी को मानने वाले देश में सत्याग्रही और शांतिपूर्ण आंदोलन के नाम पर जो उत्पात मचाया गया है, उससे राष्ट्र को काफी क्षति झेलनी पड़ी है। ये आंदोलनकारी आड़ तो गांधी की लेते हैं, लेकिन इनका तरीका बख्तियार खिलजी (जिसने नालंदा विश्वविद्यालय जला दिया था) जैसा होता है। दरअसल, देश में अधिकतर आंदोलनों में प्रदर्शनकारी महात्मा गांधी की तरह बातें तो शांतिपूर्ण आंदोलन की करते हैं, लेकिन इन्हे हिंसा पर उतारू होते देर नहीं लगती, जिसका खामियाज़ा देश की आम जनता को भुगतना पड़ता है। देश में निरंतर हो रहे प्रदर्शनों और हिंसा की वारदातों ने देश को आर्थिक रूप से बड़ी चोट पहुंचाई है। इसका खुलासा ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) की रिपोर्ट में हुआ है।
GPI ने खुलासा किया है कि हिंसा की घटनाओं के चलते देश को गत वर्ष लगभग 646 अरब डॉलर (यानी करीब 50 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ है। 163 देशों की इस सूची में भारत 135वें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान और चीन क्रमश: 54 और 138वें स्थान पर मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश में CAA-NRC, किसान आंदोलन सहित कई अन्य प्रकार की हिंसक घटनाओं में बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। हिंसा की आग में झुलस चुके इन पैसों से देश और गरीबों के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं शुरू हो सकती थीं।
ग्लोबल पीस इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा की वजह से देश को जो नुकसान उठाना पड़ा है, वो भारत के कुल GDP का 6 फीसद है। हालाँकि, ये कोई एक साल की रिपोर्ट नहीं है। GPI ने अपनी रिपोर्ट में में दावा किया है कि पिछले कुछ वर्षों में हुए आतंकी और नक्सली हमले भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। वैश्विक शांति सूचकांक में भारत 72वें पायदान पर मौजूद है।
बता दें कि वैश्विक शांति सूचकांक-2022 की रिपोर्ट में आइसलैंड विश्व का सबसे शांत मुल्क है। वहीं, शांति के मामले में दूसरे पायदान पर न्यूजीलैंड और तीसरे नंबर पर आयरलैंड हैं। वहीं, यदि विश्व के सबसे अशांत देशों की बात की जाए तो GPI के सूचकांक में अफगानिस्तान सबसे शीर्ष पर है। इसके बाद इस्लामी आतंकवाद से जूझ रहे यमन और सीरिया का स्थान है। खास बात है कि विश्व के हिंसाग्रस्त देशों की तादाद भी अब बढ़कर 29 से 38 हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका महाद्वीप के बाद एशिया विश्व का सबसे अशांत क्षेत्र है। वहीं, यदि हिंसा के वैश्विक नुकसान को देखें तो इसके चलते पूरे विश्व में 16.5 ट्रलियन डॉलर (1,300 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान उठाना पड़ा है।
अग्निपथ योजना के विरोध में भी दिखा वही पैटर्न:-
बता दें कि, केंद्र सरकार द्वारा लाइ गई अग्निपथ योजना को भी ठीक से न समझ पाने के कारण देशभर में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। अब इन्हे प्रदर्शनकारी युवा कहें या स्पष्ट शब्दों में उपद्रवी कहें, क्योंकि इन लोगों ने कल (शुक्रवार) तक 9 ट्रेनों को फूंक डाला है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, एक ट्रेन की कीमत लगभग 50 करोड़ होती है। यानी इन उपद्रवियों ने विरोध के नाम पर देश की 450 करोड़ को जलाकर राख कर दिया है। यहाँ ये बात भी विचारणीय है कि दिल में सैनिक बनकर देश सेवा का सपना लिए बैठा युवा क्या देश की ही संपत्ति फूंक देगा ?ऐसे में ये सवाल उठता है कि देश जलाने वाले क्या सेना में रहकर देश की सेवा कर पाएंगे ? क्योंकि एक सैनिक देश को बचाने के लिए अपनी जान तक न्योछावर कर देता है और ये उपद्रवी देश की सम्पत्तियों को जला रहे हैं और पुलिस पर भी हमले कर रहे हैं।