BJP: संघ चाहता है मोदी-शाह के प्रभाव से मुक्त भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम नाम घोषित नहीं हुआ है।

अनिल भारद्वाज
BJP: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम नाम घोषित नहीं हुआ है। वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है, और तब से वे विस्तार पर हैं। नड्डा को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों को जारी रखने के लिए यह विस्तार दिया गया था।
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक शुरू नहीं हो सकता जब तक कम से कम आधे से अधिक राज्यों (19 राज्यों) में संगठनात्मक चुनाव पूरे न हो जाएं। इन चुनावों में बूथ, मंडल, जिला और राज्य स्तर पर अध्यक्षों का चयन शामिल होता है। अब तक 14 राज्यों में नए राज्य अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में अभी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
हालांकि भाजपा ने बीते साल 1 अगस्त से 15 सितंबर तक सदस्यता अभियान और 16 से 30 सितंबर तक सक्रिय सदस्यता अभियान चलाया था। 1 से 15 अक्टूबर तक सक्रिय सदस्यता का सत्यापन हुआ था। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कम से कम 19 राज्यों में राज्य अध्यक्षों के चुनाव के बाद, राष्ट्रीय परिषद और राज्य परिषद के सदस्यों से बने एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। उम्मीदवार को कम से कम 15 साल की पार्टी सदस्यता और 20 निर्वाचकों (पांच राज्यों से) का समर्थन चाहिए। लेकिन भाजपा में परंपरागत रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता है। संभवतः अब तक कभी भी इस पद के लिए मतदान की नौबत नहीं आई।
फिलहाल बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संसद के मानसून सत्र (21 जुलाई) से पहले हो सकता है। वैसे तो यह प्रक्रिया दिसंबर 2024 तक या अप्रैल-मई 2025 तक पूरी हो सकती थी, लेकिन हाल की घटनाओं, जैसे जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले और तिरंगा यात्रा जैसे कार्यक्रमों के कारण इसमें देरी हुई है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कई नाम चर्चा में हैं। इनमें शिवराज सिंह चौहान जो छह बार लोकसभा सांसद, चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, और ओबीसी समुदाय से हैं। उनकी लाडली बहना योजना ने उन्हें लोकप्रिय बनाया था। वे आरएसएस की पसंद में सबसे ऊपर बताए जाते हैं।
मनोहर लाल खट्टर जो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री, जो संगठनात्मक अनुभव के साथ निरंतरता का प्रतीक हैं।
धर्मेंद्र प्रधान का नाम भी है ये ओडिशा से हैं। केंद्रीय मंत्री हैं। संगठन में मजबूत पकड़ है। भूपेंद्र यादव जो राजस्थान से हैं। केंद्रीय मंत्री हैं और संगठनात्मक अनुभव भी है। विनोद तावड़े महाराष्ट्र से हैं। राष्ट्रीय महासचिव हैं। आरएसएस पृष्ठभूमि है। कभी देवेंद्र फडणवीस का नाम भी चर्चा में था।ये महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री, जिनका नाम चर्चा में था, लेकिन अब संभावना कम बताई जा रही है। आरएसएस द्वारा संजय जोशी के नाम का भी उल्लेख है, लेकिन इनकी भी संभावना कम है। संजय जोशी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासी संबंध सर्वविदित है।
बताया जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में महत्वपूर्ण प्रभाव है। अगस्त 2024 में पलक्कड़, केरल में हुई बैठक में आरएसएस और भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी। आरएसएस एक ऐसे स्वतंत्र और मुखर नेता को चाहता है जो मोदी-शाह के प्रभाव से मुक्त हो।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में जातिगत समीकरण का भी महत्व पूर्ण भूमिका होगी। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ओबीसी नेतृत्व की मांग बढ़ रही है ताकि कांग्रेस की जातिगत जनगणना की रणनीति का मुकाबला किया जा सके। नया अध्यक्ष 2026 के राज्य चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार करेगा। 2024 में भाजपा के 240 सीटों (2019 में 303 से कम) के बाद, नए अध्यक्ष के सामने 2029 में पूर्ण बहुमत (272 सीटें) हासिल करने की चुनौती होगी।
हालांकि प्रक्रिया में तेजी आई है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम तारीख या नाम तय नहीं हुआ है। केंद्रीय चुनाव समिति, जिसके प्रमुख जे.पी. नड्डा हैं और जिसमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, और राजनाथ सिंह शामिल हैं, अंतिम निर्णय लेगी। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक जटिल और रणनीतिक प्रक्रिया है, जिसमें आरएसएस का प्रभाव, जातिगत समीकरण, और संगठनात्मक तैयारियां महत्वपूर्ण हैं। जुलाई 2025 तक नया अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है, लेकिन यह प्रक्रिया राज्य इकाइयों के चुनावों और केंद्रीय नेतृत्व के निर्णयों पर निर्भर करती है।
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