पूर्व मंत्री धर्म सिंह को 70 और आईएएस प्रशांत त्रिवेदी को 25 लाख मिला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल के लिए भी आयुष महकमें एक करोड़ 60 लाख घूस ली
- संयुक्त सचिव, निदेशक आयुर्वेद, पाठयक्रम निदेशक, बाबुओं तक में बटी रकम
- नीट में फेल छात्रों को दाखिले के लिए करोड़ों की वसूली अलग ये सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अमल को हुई
- हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई निदेशक ने एफआईआर कर विवेचना करने को कहा, दस्तावेज कब्जे में लेने की तैयारी
- उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स की जांच में ही हुआ था, 2019 के आदेश में अमल के बदले घूसखोरी का खुलासा
Bribe : लखनऊ । नेशलन एलेजिबिलटी कम इन्ट्रेंस टेस्ट ( नीट) में पात्रता न होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के सरकारी, गैर सरकारी कालेजों में करोड़ों रुपये की वसूली कर सैकड़ों छात्रों का दाखिला करा देने के आरोपों में एसटीएफ ( स्पेशल टास्क फोर्स) के हाथों गिरफ्तार एक अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (2019) के एक आदेश पर अमल की आड़ में करोड़ों रुपये की घूसखोरी का भी खुलासा हो गया है।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद सीबीआई ने दस्तावेजों को कब्जे में लेना शुरू कर दिया है। एसटीएफ की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल सीडी ( अभियुक्तों का बयान) व आरोप पत्र के ब्यौरे से साफ है कि घोटाले में तकरीबन 60 लाख रुपये तत्कालीन मंत्री आयुष धर्म सिंह सैनी और 25 लाख रुपये तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी को दी गयी थी। अभियुक्तों ने अपने बयान में धनराशि देना स्वीकार भी किया है। यह भी बताया है कि ये राशि कब कहां कैसे, मिली और कब किसके जरिये किसको पहुंचाई गई।
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सूत्रों का कहना है कि शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयुष दाखिला घोटाले की जांच एसटीएफ को सौंपी थी, कई विवेचनाधिकारियों से होती हुई य़े जांच एसटीएफ के उपाधीक्षक संजीव कुमार दीक्षित को सौंपी गयी थी। जिन्होने आयुर्वेद विभाग के निदेशक एसएन सिंह समेत 18 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में उन्होंने अदालत में दाखिल चार्जशीट में मंत्री धर्म सिंह सैनी द्वारा घूस लेने का उल्लेख किया था लेकिन तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी का जिक्र नहीं किया था, चार्जशीट में एक स्थान पर उनके पद नाम का उल्लेख जरूर दिया गया था।
पर गत दिनों इस मामले की अभियुक्त व वाराणसी की मशहूर चिकित्सक डॉ.रितू गर्ग ने जब जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी, उसके काउंटर, रिज्वाइंडर में एसटीएफ ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर अमल के लिए घूसखोरी (Bribe) का उल्लेख करते हुए एक अभियुक्त का जो हलफिया बयान संलग्न किया, उसमें तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैंनी के साथ ही अपर मुख्य सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी का भी नाम दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि प्रशांत त्रिवेदी ने निदेशक आयुर्वेद से घूस की ये रकम स्वीकार की है। इसी खुलासे के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति राजीव कुमार सिंह ने नीट भर्ती घोटाले के साथ ही 2019 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अमल में की गयी घूसखोरी (Bribe) की सीबीआई जांच का आदेश भी दिया है।
हाईकोर्ट ने बहुत स्पष्ट ढंग से एसटीएफ को निर्देश दिया है कि सारे दस्तावेज, सीडी, चार्जशीट सबकुछ सीबीआई को सौंप दिया जाए। अदालत के आदेश के बाद सीबीआई निदेशक ने इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है। सोमवार को एफआईआर होकर विवेचना शुरू होने की संभावना है।
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घूस की किश्तें और बंटवारा : चार्जशीट के मुताबिक
-पहली किश्त : 10 लाख रुपया, श्रीराम टावर के पास)
इसमें तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी के पीएस राजकुमार दिवाकर को दो लाख, कुलदीप सिंह वर्मा ( बिचौलिया, आउट सोर्सिग पर बेव मास्टर) दो लाख और आयुर्वेद विभाग के निदेशक डॉ.एस एन सिंह के हिस्से में छह लाख आये।)
दूसरी किश्त, एक करोड़ रुपया ( निदेशालय के पास मिले)
सहारनपुर में आयुर्वेद कालेज चलाने वाले डॉ.अकरम व डॉ.सईद ने श्रीराम टावर के पास कुलदीप वर्मा को एक करोड़ रुपया दिया।कुलदीप ने यह रुपया आयुर्वेद महकमे के निदेशक डॉ.एसएन सिंह को दे दिया। निदेशालय में ही रकम का बंटवारा हुआ। एक करोड़ में से 35 लाख तत्कालीन विभागीय मंत्री धर्म सिंह सैनी को उनके आवास 17 गौतम पल्ली स्थित आवास पर दिये गये। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी को 25 लाख रुपया उनके आवास पर डॉ.एसएन सिंह ने पहुंचाया इस राशि से प्रो.पीसी सक्सेना को तीन लाख रुपये दिये गये। शासन के संयुक्त सचिव लक्ष्मण सिंह को दो लाख रुपया दिया गया। कुलदीप सिंह वर्मा को दस लाख रुपया दिया गया। आयुर्वेद महकमे के निदेशक डॉ.एसएन सिंह ने 24 लाख रुपये खुद के लिए रखे बचे हुए 26 लाख रुपये शासन और निदेशालय के कर्मचारियों के बीच बांटने के लिए निदेशक के पास रखे गये।
तीसरी किश्त : 50 लाख (श्रीराम टावर के पास मिले)
30 लाख रुपये तत्कालीन आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी को दिये गये
08 लाख रुपये, तत्कालीन निदेशक पाठयक्रम प्रो.सुरेश चन्द्रा को दिये गये
02 लाख रुपये प्रो.पीसी सक्सेना को दिये गये
05 लाख रुपये निदेशक आयुर्वेद डॉ.एसएन सिंह ने अपने पास रखे
05 लाख रुपया कुलदीप वर्मा के हिस्से में आये।
Bribe : 2020-21 में कालेजों की एनओसी में घूसखोरी
हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामें में घूसखोरी (Bribe) के धनों का बंटवारे का उल्लेख करते हुए अभियुक्त के बयान के हवाले से लिखा गया है कि कालेजों को एनओसी देने के लिए प्रबंधन तंत्र से 4 से पांच लाख रुपये तक वसूले गये। जो रकम 20-20 लाख की किश्तों में 40 लाख होती है, जिसे इकट्टा करने के बाद पीएस राजकुमार दिवाकर के साथ जाकर तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी को दिया गया। इसके हिस्सा भी शासन के अधिकारियों को दिया गया।
एक करोड़ 60 लाख की घूसखोरी सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू कराने के नाम पर हुई
लखनऊ। घूसखोरी के इल्जामों से घिरे आयुष विभाग की ये (Bribe) घूसखोरी वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट से जारी एक आदेश को लागू कराने के नाम हुई थी। दरअसल, प्राइवेट मेडिकल कालेज एसोसिएशन व आधा दर्जन से अधिक आयुष कालेजों ने सुप्रीम कोर्ट में पाठयक्रम, प्रवेश और अन्य मुद्दों पर प्रबंधन के हित में फैसले के लिए एक याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किया, उसमें राज्य सरकार की सहमति आवश्यक थी। सीटों का विवेक सरकार पर छोड़ा गया था।
इसी आदेश का अनुपालन कराने के लिए जामिया तिब्बिया यूनानी कालेज सहारनपुर के डॉ.अनवर सईद और भारत आयुर्वेद मुजफ्फरनगर के डॉ. अकरम ने आयुर्वेद महकमे के निदेशक से संपर्क किया था। सूत्रों का कहना है कि आदेश होने पर दो करोड़ रुपये घूस देने की बात तय हुई थी, इसमें सभी कालेजों के शामिल होने का दावा किया गया था। आदेश होने पर वादे के आधार पर दोनों डॉक्टरों ने एक करोड़ 60 लाख की किश्त जमा कर दी थी।
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