कौन बनेगा उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव?

मुख्य सचिव के लिए बिछने लगी हैं सियासी गोटियां
दावेदारों को टेंशन फिर न हो एक्सटेंशन
पंचम तल चाहे ‘पिट्ठू सीएस’
कई आईएएस किए गए साइड लाइन
दुर्गा शंकर का कार्यकाल बढऩे की संभावना
प्रबल दावेदार की राह में कांटे बिछाने का खेल शुरू

लखनऊ। यूपी का मुख्य सचिव बनने की हसरत में कुछ आईएएस रिटायर हो गए और कुछ साइड लाइन कर दिए गए। एक्सटेंशन पाए मुख्य सचिव का कार्यकाल दिस बर में खत्म हो रहा है। सत्ता के ताकतवर अफसरों का पर्दे के पीछे चलने वाला खेल फिर शुरू हो गया है। पंचम तल की एक लॉबी ‘पिट्ठू सीएस’ की ताजपोशी चाहता है और इसके लिए साइड लाइन से मुख्य धारा में लाया गया है। जबकि मु य धारा के एक प्रबल दावेदार की राह में कांटे बिछाने का खेल शुरू हो गया है। मुख्य सचिव पद के दावेदारों के शाह-मात का यह खेल तभी सफल हो सकता है जब केन्द्र सरकार वर्तमान मु य सचिव का कार्यकाल न बढ़ाए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार यूपी के मुख्य सचिव की तैनाती में केन्द्र की च्वाइस चलेगी, क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव है।बताते चलें कि 30 दिस बर 2022 को वर्तमान मुख्यसचिव दुर्गा शंकर मिश्र का कार्यकाल पूरा हो रहा है। श्री मिश्र की यह नियुक्ति सीधे केन्द्र से हुई थी।
वह रिटायरमेंट से एक दिन पहले। इस घटनाक्रम से उस समय मुख्य सचिव पद के

कई दावेदार अफसरों को झटका लगा था। वर्तमान मुख्य सचिव के कार्यकाल में यूपी विधान सभा के 2022 के चुनाव हुए और इतिहास रचते हुए भाजपा की दुबारा सरकार बनी। 2019 के लोकसभा चुनाव के कुछ माह पूर्व अनूप चंद्र पाण्डेय को बनाया गया था। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक सफलता मिली थी, वह भी तब जब सपा-बसपा का गठबंधन था। केन्द्र की च्वाइस वाले मुख्य सचिवों का रिजल्ट काफी बेहतर रहा है। अनूप चंद्र पाण्डेय की रिटायरमेंट के बाद यूपी को मुख्य सचिव के पद पर राजेन्द्र कुमार तिवारी की नियुक्ति हुई थी। जिनकी परफामेंस बेहतर न होने के कारण दुर्गा शंकर मिश्र की तैनाती की गई थी।
अब वही स्थिति फिर सामने है। 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। वर्तमान मुख्य सचिव का रिजल्ट बेहतर है, नौकरशाही में पकड़ में जबरदस्त है। वरिष्ठ और साफ-सुथरी छवि होने के कारण कोई विवाद नहीं है। लखनऊ और केन्द्र के शीर्ष नेतृत्व से भी अच्छा तालमेल है। इस वजह से संभावना है कि वर्तमान मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र को एक साल का एक्सटेंशन और मिल सकता है। नौकरशाही के सूत्रों के मुताबिक पंचम तल और बनिया

लॉबी के अफसर अपना ‘पिट्ठू सीएस’ बनवाना चाहते हैं। इसके लिए जबरदस्त तरीके से किलेबंदी हो रही है। जबकि इससे पूर्व एक पिट्ठू को सीएस बनवाया था, जोकि सफल नहीं हो पाया था। मुख्य सचिव के दावेदार कुछ अफसरों को साइड लाइन भी करवाया गया है। मुख्य सचिव के एक प्रबल दावेदार आईएएस अफसर की राह में कांटे बिछाने की चर्चा है। जबकि अन्य दावेदार अफसर अपने-अपने स्तर पर पैरवी कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अजय कुमार कहना है कि इस समय डीजीपी से लेकर मुख्य सचिव तक का पद एडहाक पर चल रहा है। कार्यवाहक डीजीपी पैनल में नहीं है और चयन समिति सवाल उठा चुकी है। मुख्य सचिव की तैनाती के मामले में केन्द्र की ही चलेगी, जो भी दावेदार होगा वह केन्द्र की पसंद का होगा। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि मौजूदा परिदृश्य में यूपी में तैनात आईएएस अफसर अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, औद्योगिक एवं अवस्थापना आयुक्त अरविन्द कुमार और अपर मुख्य सचिव खेल डा. नवनीत कुमार सहगल मुख्य सचिव पद के दावेदार हैं।

इसके साथ ही दिल्ली में तैनात यूपी के कॉडर के सुनील कुमार, श्रीमती राधा एस. चौहान भी केन्द्रीय नेतृत्व की पंसद हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय यूपी में न तो मुख्य सचिव और न ही डीजीपी पूर्णकालिक है। इससे गलत संदेश जा रहा है। साथ ही नौकरशाही में भी अस्थिरता भी कायम है। इस मामले पर जल्द ही निर्णय होने की संभावना है। 2024 के मद्देनजर ऐसा अफसर मुख्य सचिव बनने की संभावना है जो मु यमंत्री और केन्द्र सरकार के बीच बेहतर तालमेल कायम कर सके और दोनों का विश्वास पात्र हो। सूबे की नौकरशाही में गोलबंदी न हो।
यहाँ पढ़े : वाराणसी, आगरा, मेरठ, प्रयागराज व गोरखपुर में पेट्रोल-डीजल के दामों में आंशिक कमी