उत्तर प्रदेश

House arrest:संतकबीरनगर विवाद: भूमिहार पीड़ितों से मिलने जा रहे ब्राह्मण नेता करुणेश पांडेय हाउस अरेस्ट, पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप

House arrest:संतकबीरनगर विवाद,भूमिहार पीड़ितों से मिलने जा रहे ब्राह्मण नेता करुणेश पांडेय हाउस अरेस्ट, पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप

गोरखपुर/संतकबीरनगर: संतकबीरनगर के महुली में होली के दिन अश्लील गानों के विरोध को लेकर राजभर और भूमिहार समुदायों के बीच हुए गंभीर विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। पीड़ित भूमिहार समाज के परिजनों से मिलने जा रहे अखिल भारतीय ब्राह्मण जनकल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री करुणेश पांडेय को चौरीचौरा पुलिस ने सोमवार को दिन भर नजरबंद रखा। इस घटना ने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है।

घटना का विवरण:

संतकबीरनगर के महुली में होली के दिन अश्लील गानों के विरोध को लेकर भूमिहार और राजभर समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस घटना में कई लोग घायल हुए और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा। इस घटना ने क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया है, और सामाजिक सौहार्द को खतरे में डाल दिया है।

करुणेश पांडेय का हाउस अरेस्ट और आरोप:

अखिल भारतीय ब्राह्मण जनकल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री करुणेश पांडेय, जो पीड़ित भूमिहार समाज के परिजनों से मिलने जा रहे थे, उन्हें चौरीचौरा पुलिस ने घर में नजरबंद कर दिया। पांडेय ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि संतकबीरनगर पुलिस राजनीतिक दबाव में एकतरफा कार्रवाई कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चौरीचौरा पुलिस भूमिहार समाज की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। पांडेय ने कहा कि संतकबीर नगर क्षेत्राधिकारी और महुली थाना प्रभारी ने उन्हें 48 घंटे के भीतर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भूमिहार समाज का मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है, तो संगठन जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करेगा।

राजनीतिक और सामाजिक तनाव:

इस घटना ने क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक तनाव को और बढ़ा दिया है। भूमिहार समाज में पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ रोष है, और वे न्याय की मांग कर रहे हैं। अखिल भारतीय ब्राह्मण जनकल्याण समिति ने भी इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। इस घटना ने क्षेत्र में जातिगत समीकरणों को भी प्रभावित किया है।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल:

इस घटना ने स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई के आरोपों ने प्रशासन की निष्पक्षता पर संदेह पैदा कर दिया है। पीड़ित परिवार और सामाजिक संगठन न्याय की मांग कर रहे हैं, और इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

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