ISRO: अब अंतरिक्ष में भी उगेगा भोजन, ISRO का बड़ा कदम!
ISRO: चेन्नई, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। इसरो ने माइक्रोग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) में लोबिया के पौधों को सफलतापूर्वक उगाकर अंतरिक्ष जैविक प्रयोगों में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह उपलब्धि अंतरिक्ष में मानव मिशनों को दीर्घकालिक बनाने और अंतरिक्ष में ही भोजन उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अंतरिक्ष में भोजन उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम:
अंतरिक्ष में बीज से पौधे उगाना अंतरिक्ष जैविक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल अंतरिक्ष में भोजन उत्पादन की संभावनाओं को खोलता है, बल्कि भविष्य में होने वाले लंबे मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ताज़ा भोजन का स्रोत भी प्रदान करता है।
क्रॉप्स प्रयोग: सफलता की कहानी:
इसरो ने PSLV-C60 मिशन पर ‘क्रॉप्स’ (ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज के लिए कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल) नामक एक विशेष प्रयोग किया। इस प्रयोग के तहत, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में लोबिया के पौधों के विकास का अध्ययन किया गया और आश्चर्यजनक रूप से, बीज सफलतापूर्वक अंकुरित हुए और पौधों में विकसित हुए। इसरो ने इस उपलब्धि को अंतरिक्ष जैविक प्रयोगों में एक बड़ी छलांग करार दिया है।
क्रॉप्स मॉड्यूल की विशेषताएं:
- क्रॉप्स एक मानवरहित प्रायोगिक मॉड्यूल है, जिसे विशेष रूप से अंतरिक्ष में पौधों को उगाने और उनकी देखभाल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- क्रॉप्स-1 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में बीज के अंकुरण से लेकर दो पत्तियों के चरण तक पौधे के विकास को प्रदर्शित करना था, जो सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
- यह मॉड्यूल 300 मिमी व्यास और 450 मिमी ऊंचाई का एक एयरटाइट कंटेनर है, जो अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसा वातावरण बनाने का प्रयास करता है।
- पानी को सोखने और बनाए रखने वाली विशेष मिट्टी का उपयोग किया गया है, जिसे रोगाणुओं से मुक्त करने के लिए उच्च तापमान पर गर्म किया गया था।
- पौधे को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए मिट्टी में धीमी गति से निकलने वाले उर्वरक भी मिलाए गए थे।
- लॉन्च के दौरान होने वाले कंपन और झटकों से बीजों को बचाने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया था।
इसरो की भविष्य की योजनाएं:
इस सफलता के साथ, इसरो अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव मिशनों और अंतरिक्ष में ही भोजन उत्पादन की संभावनाओं को लेकर और भी उत्साहित है। यह प्रयोग भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार साबित होगा।
इ-पेपर : Divya Sandesh