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UP Bureaucracy: आईएएस अफसरों ने बढ़ाया ‘विवादों का निवेश’!

मंत्री करे गुहार

UP Bureaucracy: लखनऊ। यूपी में निवेश लाने के लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग बीते कुछ सालों से काफी चर्चा में है। विभाग की निवेश नीतियों से जहां उत्तर प्रदेश की छवि राइजिंग यूपी की बनी वहीं राष्ट्रीय स्तर पर योगी सरकार की लोकप्रियता भी बढ़ी। लेकिन इधर कुछ माह से अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग तैनात कुछ आईएएस अफसरों के कथित फैसलों से जहां मंत्री और आईएएस अफसरों में तनातनी बढ़ी है वहीं योगी सरकार की छवि पर प्रभाव पड़ा है।

आईआईडीसी की इंट्री के बाद बढ़ा विवाद

UP Bureaucracy
UP Government Industry Policy

2017 से लेकर 2024 तक योगी सरकार ने सूबे में निवेश बढ़ाने के लिए 28 नीतियां लाई। इन नीतियों की वजह से यूपी में काफी निवेश आया। जिसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई। 1 मई 2022 को औद्योगिक विकास विभाग में वरिष्ठï आईएएस मनोज कुमार सिंह की अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त के पद पर तैनाती हुई थी। इसके बाद खूब खेल शुरू हो गए।

Chief Secratary Of And IIDC Manoj Kumar Singh

जिसकी नई दिल्ली निवासी सुबित कुमार सिंह ने 12 नवम्बर 2024 को   प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, औद्योगिक विकास मंत्री, सेक्रेटरी डीओपीटी, सीबीआई, ईडी को मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास आयुक्त, गोरखपुर इंडस्ट्रयिल डेपलमेंट एथारिटी,  ग्रेटर नोएडा एथारिटी, नोयडा डेवलेपमेंट एथारिटी और इंडस्ट्रयिल डेपलमेंट डिर्पाटमेंट की रिविजनल बेंच के मुखिया मनोज कुमार सिंह के कारनामों की तीन पेज की शिकायत के साथ 90 पत्रों का संलग्नक भेजा है। भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव ने मनोज कुमार सिंह ने नियमों को ताक पर रखकर कुछ ‘निजी औद्योगिक संस्थानों’ को लाभ पहुंचाया है। (UP Bureaucracy)

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मोहरे पर हुई कार्रवाई

IAS Anil Kumar Sagar

1 दिसम्बर 2022 को वरिष्ठ आईएएस अनिल कुमार सागर की औद्योगिक विकास विभाग में सचिव के पद पर होती है। इसी विभाग में प्रमुख सचिव भी बनते हैं। लेकिन एक विवाद यमुना प्राधिकरण ने लाजिक्स बिल्डर को ग्रुप हाउसिंग भूखंड का आवंटन किया था। इसकी लीजडीड 2012 में की गई थी। बिल्डर से इस भूखंड का एक हिस्सा यूजी इंफ्रास्ट्राक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने खरीदा था। इसके अलावा तीन अन्य बिल्डरों ने भी भूखंड का हिस्सा खरीदा था। इसकी लीजडीड 2014 में संपन्न हुई थी। प्राधिकरण के नियमानुसार मुख्य आवंटी बिल्डर को निर्माण एवं मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए मिलने वाला दो साल का समय, उप क्रेता बिल्डर को दिया दिया जाता है, लेकिन ओएसिस को छोडक़र अन्य बिल्डरों ने मानचित्र व निर्माण शुरू नहीं किया। ओएसिस बिल्डर ने निर्माण कार्य कराकर प्राधिकरण से सीसी भी प्राप्त कर ली। तय अवधि में मानचित्र स्वीकृत न कराने और निर्माण कार्य शुरू न करने पर प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डा. अरुणवीर सिंह ने 2022 में 11 बिल्डरों का आवंटन रद कर दिया था। इसके खिलाफ यूजी इंफ्रास्ट्राक्चर प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य ने चेयरमैन के यहां अपील की थी। आरोप है कि चेयरमैन ने समान मामलों की एक ही दिन में सुनवाई करते हुए एक के पक्ष व दूसरे के विरोध में फैसला दिया। यूजी इंफ्रास्ट्राक्चर प्राइवेट लिमिटेड के विरोध में फैसला होने पर उसके द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसके बाद विवादों के कारण योगी सरकार ने प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक अनिल सागर को 14 दिसम्बर 2024 को हटा दिया था। साथ ही अनियमितताओं को लेकर एक जांच भी बिठा दी। साथ ही इस विभाग में 14 दिसम्बर 2023 को 1993 बैच के वरिष्ठ आईएएस आलोक कुमार को अवस्थाना एवं औद्योगिक विभाग के प्रमुख सचिव बनाए गए। (UP Bureaucracy)

विभीषणगिरी में 5 बार प्र्रतीक्षारत किए गए

IAS Alok Kumar

आपको बताते चलें कि प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग आलोक कुमार 15 मार्च 2012 को अखिलेश यादव सरकार में सचिव मुख्यमंत्री के पद पर तैनात थे। 16 जून 2013 तक ये आईएएस महोदय सचिव मुख्यमंत्री रहे। उस समय इन आईएएस महोदय को सचिव मुख्यमंत्री के पद से हटाने की रोचक घटना चर्चा में है। जैसे इस समय औद्योगिक विकास विभाग की खबरें मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ठीक उस दौर में मुख्यमंत्री कार्यालय की तमाम खबरें लीक हो रही थीं। इस वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सचिव मुख्यमंत्री के पद से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया था। कुछ दिन वेटिंग रखे गए। उसके बार राजस्व परिषद में भेज दिया गया था। इन्हीं हरकतों के कारण 2011, 2013, 2020, 2023 में भी जबरिया वेटिंग में डाले गए थे। अपनी सचिव में कुछ पांच बार वेटिंग में डाले गए हैं।

मंत्री को अनसुना कर रहे हैं अफसर

Minister Nand Kumar Nandi

अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के मंत्री नंद गोपाल नंदी विभागीय अफसरों से नाराज हैं। इसे लेकर उन्होंने सीएम योगी को पत्र लिखा है। उन्होंने औद्योगिक विकास विभाग के काम में ढिलाई को लेकर नाराजगी जाहिर की है। मंत्री ने पत्र में आरोप लगाया है कि विभागीय अधिकारी कई अहम फाइलें महीनों से लंबित रखे हुए हैं। पत्र में कहा है कि विभाग ने घोषणा व बजटीय प्रावधान के बावजूद युवाओं को स्मार्टफोन वितरण की योजना पर काम नहीं किया। इससे 3100 करोड़ रुपये का बजट लैप्स हो गया और युवा निराश हो गए। इससे पहले भी प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास विभाग अनिल कुमार सागर और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखे थे।

अफसरों की साख पर उठी उंगलियां

अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के सूत्रों का कहना है कि जब से इस विभाग में दो आईएएस अफसरों की तैनाती हुई है। औद्योगिक विकास विभाग में हाहाकार मचा हुआ है। आईआईडीसी की प्रमुख सचिव और विभागीय मंत्री से जरा भी पटरी नहीं खाती है। आईआईडीसी के तौर पर मनोज कुमार सिंह नियमों को ताक पर रखकर फैसले कर रहे हैं। लगभग सैकड़ों ऐसे फैसले किए गए हैं जिनकी शिकायत उच्च स्तर पर हुई है। जिनकी वजह से सरकार की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी द्वारा पत्र में लिखे गए सवालों को कुंद करने की प्रमुख सचिव और आईआईडीसी की तगड़ी घेराबंदी की है। मंत्री के सभी आरोपों को तथ्यहीन और मिथ्या बताने की तैयारी है। अपनी पुरानी प्रवृत्ति के कारण प्रमुख सचिव आलोक कुमार मीडिया के अपने कुछ खास बड़े अखबारों के पत्रकारों को खूब सूचनाएं शेयर कर रहे हैं। जिनसे औद्योगिक विकास विभाग की खूब छीछालेदर हो रही है। प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास विभाग से इस मुद्दे पर सम्पर्क किए जाने पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। यही हाल आईआईडीसी मनोज कुमार सिंह का रहा।

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