‘आकाश आनंद’ की इंट्री के बाद तेजी से बदल रही है बसपा
- बीएसपी ने पहली बार तेलंगाना में जारी किया लोकलुभावन घोषणा-पत्र
- सर्वे में भले ही बसपा को नजरअंदाज किया जा रहा है लेकिन जमीन पर मजबूत
- 28 आरक्षित सीटों पर बीएसपी की नजर
- बसपा के प्रदेश अध्यक्ष व मुख्यमंत्री के चेहरे के डा. आर.एस. प्रवीन के प्रयासों से तेलंगाना हुआ बसपामय
निर्भय राज
BSP : लखनऊ। अपने जन्म से लेकर 2022 तक के हुए विधान सभा के चुनाव में बसपा ने कभी भी जनता से लोकलुभावन वादों का घोषणा-पत्र जारी नहीं किया। लेकिन बसपा के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद की इंट्री होने के बाद से बसपा तेजी से बदल रही है। जहां तकनीक का बखूबी इस्तेमाल हो रहा है वहीं तेलंगाना में लुभावने वादों से भरा घोषणा पत्र जारी कर विपक्षी दलों को चौंका दिया है। विभिन्न चैनलों के सर्वेक्षणों में बसपा को कमतर आंक कर कांग्रेस और बीआरएस के बीच कड़ी लड़ाई बताई जा रही है। लेकिन तेलंगाना विधान सभा के आगामी 3 दिसम्बर को आने वाले चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
चुनाव जीतने के लिए जनता से लुभावने वादों की रेवड़ी बांटने के खिलाफ रही बसपा ने तेलंगाना में महिला श्रमिकों और किसानों को स्मार्ट फोन व वॉशिंग मशीन देने का वादा किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने तेलंगाना राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया है। चुनाव जीतने के लिए जनता से लुभावने वादों की रेवड़ी बांटने के खिलाफ रही बसपा ने तेलंगाना में महिला श्रमिकों और किसानों को स्मार्ट फोन व वॉशिंग मशीन देने का वादा किया गया है। इसी तरह सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 50 फीसदी हिस्सेदारी की बात कही है। कहा है कि पार्टी सत्ता में आने पर दस लाख युवाओं को नौकरी देगी, जिसमें 50 फीसदी महिलाएं होंगी। पार्टी ने प्रत्येक भूमिहीन परिवार को एक एकड़ भूमि और बेघरों को पक्का आवास देने की घोषणा की है।
खास बात यह है कि महिला आरक्षण बिल के मुताबिक मंत्रिमंडल में 33 फीसद महिलाओं को शामिल करने की बात भी कही गयी है। इसके अलावा पार्टी ने कई अन्य लुभावने वादे भी किए हैं। इससे पूर्व तेलांगना में बैलेंस ऑफ पॉवर बनने के लिए बसपा ने जहां पहली बार आईपीएस से वीआरएस लेकर राजनीति में कूदे तेजतर्रार पुलिस अधिकारी रहे डा. आर. एस. प्रवीण को अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था वहीं 28 सुरक्षित सीटों के जरिए भारत राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) और भाजपा व कांग्रेस का खेल बिगाडऩे का दांव चला है। सनद हो कि वर्ष 2018 में तेलांगना में हुए विधान सभा की 119 सीटों में बीआरएस ने 88, कांग्रेस ने 19, एआईएमआईएम ने 7, भाजपा ने 1, ऑल इंडिया फावर्ड ब्लॉक एक और एक निर्दलीय ने सीट जीती थी।
119 सीटों में 28 आरक्षित सीटों में से 19 सीटें बीआरएस, 6 कांग्रेस, 2 तेदेपा और 1 आईएनडी ने जीती थी। बसपा 106 सीटों ने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। अधिकतर सीटों पर बसपा की जमानत जब्त हुई थी, लेकिन 2.1 फीसदी वोट मिले थे। सबसे अधिक सुरक्षित सीटें जीतकर बीआरएस ने तेलांगना में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। 2021 में बसपा ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए तेलांगना में दलित समाज के सबसे चर्चित आईपीएस और सामाजिक आंदोलनों के अग्रणी डा. आर.एस. प्रवीण को बसपा में शामिल किया और प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी। बीते दो सालों के अंदर डा. आर.एस. प्रवीण जमकर मेहनत की। तेलांगना की गली-गली घूमे और बहुजनों को बसपा के मंच पर लाने के लिए खूब पसीना बहाया। जिसका नतीजा यह है कि बसपा का झण्डा और बहुजन महापुरूषों की विचार धारा दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों के बीच लोकप्रिय हो गया है। जिसकी गूंज देश भर में होने लगी है। डा. आर.एस. प्रवीण की बहुजनों में बढ़ती लोकप्रिय को देखते हुए बीआरएस के मुखिया के. चंद्रशेखर राव ने तेलांगाना में भारत रत्न बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर की विशाल प्रतिमा स्थापित कर दलितों में अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहते हैं। यही वजह है कि बीआरएस ने दलितों के उत्थान के लिए काफी योजनाएं शुरू की हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने तेलांगना में एक विशाल रैली कर पहली बार मुख्यमंत्री का चेहरा पूर्व आईपीएस डा. आर.एस. प्रवीण को घोषित कर सनसनी फैला दी। इससे बहुजनों के उत्साह में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सी. लाल कहते हैं कि बसपा तेजी से अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। यूपी में करारी हार के बाद बसपा ने राजनीतिक प्रयोग शुरू कर दिए हैं। जिसके तहत पहली बार बसपा ने तेलांगाना में मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी के चेहरे को घोषित किया है। तेलांगाना में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. आर.एस. प्रवीण के कार्यों की गूंज देश के कोने-कोने में होना शुरू हो गया है। इसको देखते हुए आगामी तेलांगाना विधान सभा के चुनाव में बसपा बैलेंस ऑफ पॉवर बन सकती है।
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