उत्तर प्रदेशलखनऊ

योगी माडल के आगे फिर धराशाई हुआ विपक्ष  

  • विस उपचुनाव में भी नहीं चल पाई सपा की साईकिल
  • प्रचार के लिए नहीं निकली बसपा और कांग्रेस
  • दो चरणों के लिए योगी ने की थी ५० रैलियां

विशेष संवाददाता
लखनऊ।  2022  के विधानसभा चुनाव के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने निकाय चुुनाव में शानदार जीत दर्ज कराई है। पहली बार हुआ है कि प्रदेश के सभी सत्रह नगरनिगमों में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार निर्वाचित हुए है। हालांकि निकाय चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने जोरआजमाइश की थी लेकिन सबकों पीछे छोड़ते हुए भाजपा ही नंबर वन की पार्टी बनकर उभरी। निकाय चुनाव में मिली शतप्रतिशत सफलता के बाद एक बार फिर यह साबित हुआ कि प्रदेश में योगी माडल की विश्वसनीयत और स्वीकार्यता पहले से ज्यादा बढ़ी है।

इन चुनाव नतीजों से एक बात यह भी साफ हुई कि वे पार्टी के भीड़ जुटाऊ नेता ही नहीं बल्कि जिताऊ स्टार कैम्पेनर भी है। निकाय चुनाव में उन्होंने प्रदेश भर में सभाएं और रैलियां करके भाजपा के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे थे। निकाय चुनाव के नतीजो से एक बार फिर स्पष्टï हो गया है कि योगी भाजपा के लिए ही नहीं यूपी के लिए उपयोगी है। उनका प्रदेश में ट्रिपल इंजना सरकार का नारा सफल रहा है। यूपी के निकाय चुनाव को भाजपा नेतृत्व सहित सीएम योगी आदित्यनाथ इसलिए भी गंभीर थे क्योकि इस चुनाव के नतीजे ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश है।

कर्नाटक विधानसभा के चुनाव परिणाम भले ही भाजपा के पक्ष में न हो लेकिन वहां मिली हार के गम को यूपी के निकाय चुनाव में मिली अप्रत्याशित सफलता ने कुछ कम किया है। इन चुनावों में भाजपा को शतप्रतिशत सफलता दिलाने की गरज से सीएम योगी आदित्यनाथ ने दोनों चरणो के  चुनाव के लिए कुल 50 रैलियां की थी जिनमें पहले चरण में 28 और दूसरें चरण  में 22 रैलियां की थी। उनके द्वारा रैलियों और सभाओं के बाद जो चुनाव नतीजे आए आए उसके बाद से यह स्पष्टï हो गया कि जनता ने उनके कार्यो पर मुहर लगा दी है।

निकाय चुनाव को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ कितने संजीदा थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सभी सत्रह नगरनिगमों और अ_ïारह मंडलों में उन्होंने कई-कई स्थानों पर दो से ज्यादा रैलियां और सभाएं की। भाजपा उम्मीदवार के रूप में  जीत की गांरटी मानते हुए चुनाव के दौरान ही सपा के कई उम्मीदवार भाजपा में शामिल हुए। शाहजहंापुर नगरनिगम में अर्चना वर्मा को पहले सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद में भाजपा में शामिल हुई भाजपा ने उन्हे मेयर पद का प्रत्याशी बनाया और वे निर्वाचित भी हुई।

निकाय चुनाव में भाजपा को मिली अप्रत्याशित सफलता ने विपक्ष की पेशानी पर बल डाल दिया है। हालांकि इस चुनाव के दौरान प्रचार अभियान में जितना सीएम योगी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया उसकी तुलना में विपक्ष के नेताओं ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। सपा के प्रमुख अखिलेश यादव की जनसभाएं और रैलियां योगी की तुलना में काफी  कम थी इसी तरह बसपा की प्रमुख मायावती ने किसी प्रत्याशी के लिए प्रचार में जाना उचित नहीं समझा। कांग्रेस तो यह चुनाव लडऩे से पहले ही हारमानकर बैठी थी। प्रदेश नेतृत्व के किसी नेता ने अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार में जाना जरूरी नहीं समझा।


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