Zero Tolerance Policy: भ्रष्टाचार की जीरो टॉलरेंस नीति का मखौल उड़ा रहा है रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर
'डाटा चोर वैज्ञानिक' पर मेहरबान IAS अफसर!

- Zero Tolerance Policy
- सवालों के घेरे में प्रमुख सचिव पंधारी यादव और कार्यवाहक निदेशक शीलधर सिंह यादव की कार्य प्रणाली
एनडीएस ब्यूरो
लखनऊ। मुख्यमंत्री के विभाग रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के डाटा चोर वैज्ञानिक पर प्रमुख सचिव और कार्यवाहक निदेशक मेहरबान हैं। डाटा चोरी में जेल और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के बावजूद अफसरों की मिलीभगत के चलते ज्वाइन करवा दिया है। और तो और विभागीय मंत्री भी अनजान हैं। यह स्थिति तब है जबकि योगी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। इस प्रकरण की शिकायत होने के बावजूद शासन से लेकर स्थानीय अफसर दबाए हुए हैं। यह मामला जहां सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति (Zero Tolerance Policy) का मखौल उड़ा रहा है वहीं भ्रष्टाचाररियों के बुलंद हौंसले की कहानी बयां कर रही है।
रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व वैज्ञानिक अश्वनी श्रीवास्तव ने 25 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स बोधित एक शिकायत पत्र भेजा था। कासगंज सदर भाजपा विधायक देवेन्द्र सिंह राजपूत ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी के कारनामों को लेकर पत्र लिखकर जांच की मांग की थी। पत्र में उल्लेख किय गया कि वर्ष 2004 में वैज्ञानिक आलोक सैनी और उनकी पत्नी को प्रतिबंधित उपग्रहीय आंकड़ों की चोरी और विक्रय के मामले में पूर्व निदेशक डा. नवनीत कुमार सहगल ने निलंबित कर एफआईआर दर्ज करवा कर जेल भिजवाया था। गुडम्बा थाने में डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी के खिलाफ वाद संख्या 168/2004 के तहत धारा 406, 409,420, 120 बी, और 64/65 कापी राइट के तहत दर्ज हुआ था। डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी ने लखनऊ हाईकोर्ट में अपने निल बन को लेकर वर्ष 2005 में एक वाद सं या 27 योजित किया था। लखनऊ हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी की याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ वर्ष 2014 में डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका सं या 5716-5717/2014 योजित किया। जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी की याचिका को खारिज कर दिया था।
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हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी ने रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक राजीव मोहन, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी दया शंकर, पूर्व एसई वैज्ञानिक राजेश कुमार उपाध्याय से सांठगांठ कर 10 मार्च 2017 को अपनी बहाली करवा ली। यह बहाली इस आदेश के सापेक्ष हुए थे कि यदि डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में क्रिमिनल वाद में पारित अंतिम आदेशों से आच्छादित होगा।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक राजीव मोहन, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी दया शंकर, पूर्व एसई वैज्ञानिक राजेश कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ताक पर रखकर डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी की नौकरी बहाल रखकर रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन सेंटर की संवेदनशीलता को खतरे में डाला। सूत्रों का कहना है कि पूर्व तीनों कार्मिकों के साथ वर्तमान कार्यवाहक निदेशक शीलधर सिंह यादव और प्रमुख सचिव पंधारी यादव अब भी डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी पर मेहरबान हैं। यह मेहरबानी इस तरह नजर आ रही है कि शासन स्तर पर शिकायतों के बावजूद मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
शिकायतकर्ता और पूर्व वैज्ञानिक अश्वनी श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री के विभाग और वैज्ञानिकों से जुड़े संवेदनशील विभाग की संवेदनशील शिकायत को शासन के आला अफसर दबा देते हैं। एक डाटा चोर वैज्ञानिक आलोक सैनी को शासन के आला अफसर संरक्षण दे रहे हैं। इससे रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की गोपनीयता खतरे में है। साथ ही सरकार की भ्रष्टाचार की जीरो टॉलरेंस नीति (Zero Tolerance Policy) को अफसरों ने कुंद कर दिया है।
डाटा चोरी के आरोपी वैज्ञानिक आलोक सैनी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर अपने स्तर से निर्णय ले। पूर्व निदेशक ने निर्णय लिया। इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि उन पर लगे आरोप झूठे हैं। रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के कार्यवाहक निदेशक शीलधर सिंह यादव से स पर्क किए जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जबकि प्रमुख सचिव पंधारी यादव ने कहा कि अभी उन्हें इस विषय में जानकारी नहीं है। जानकारी प्राप्त कर ही प्रतिक्रिया दी जाएगी। विभागीय मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि प्रकरण की जांच करवा कर कार्यवाही की जाएगी।
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