राजनैतिक पप्पू के बाद बसपा के डब्बू की हुई इंट्री!
- बसपा ने 50 से 200 रुपए बढ़ाया सदस्यता शुल्क
- प्रत्येक जिले से मांगे प्रतिमाह 20 लाख रुपए का सहयोग
- बागी कॉडर के नेताओं को वापसी की मांग
- आकाश को नेशनल कोआर्डिनेटर बनाए जाने का शुरू हो विरोध
- अभय राज
लखनऊ। विपक्ष द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की गढ़ी गई ‘राजनैतिक पप्पूÓ की छवि से अभी तक उभर नहीं पाए हैं। अब देश की राजनीति में एक और ‘राजनैतिक पप्पूÓ का इंट्री हो गई है। ये नए ‘राजनैतिक पप्पूÓ बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद हैं, जिनको बसपा ने युवाओं को जोडऩे के लिए नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया है। लेकिन पैराशूट से कूदे नए ‘राजनैतिक पप्पूÓ का बहुजन कॉडर नेताओं ने जहां दबी जुबान से विरोध शुरू कर दिया है वहीं BSP के बागी कॉडर नेताओं के वापसी की मुहिम पार्टी प्लेटफार्म से लेकर सोशल मीडिया तक मुखर हो रही है।
बताते चलें कि 17 सितम्बर 2003 से बसपा की मायावती के हाथ में आने यानी राष्टï्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से बसपा का राजनीतिक ग्राफ तेजी से गिरा है। 2003 तक बसपा की कमान मान्यवर कांशीराम जी के हाथ में थी। इस वजह से 85 बनाम 15 का समाज एकजुट बसपा के साथ था। इस जातीय समीकरण के कारण 2007 में बसपा की पहली बार यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। 2022 में हुए विधान सभा के चुनाव में बसपा की सबसे बुरी स्थिति हुई मात्र एक सीट ही निकाल पाई।
दलितों की मानी जाने वाली पार्टी जब से सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की पॉलिसी ग्रहण की है तब से दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों का तेजी से बसपा से मोहभंग हुआ है। जिसके परिणाम यह हुआ दलितों का 22.5 फीसदी वोट बैंक में से 10. 88 फीसदी मिला है। बसपा की हर हार के बाद समीक्षा बैठक के नाम पर वही पुरानी कार्यशैली कुछ पदाधिकारियों इधर से उधर करना, कुछ तेजतर्रार व जनाधार वाले नेताओं को निकालना भर तक सीमित रहता है।
रविवार को हुई हार की समीक्षा बैठक में BSP सुप्रीमो मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों से पार्टी चलाने के लिए प्रत्येक विधान सभा से 20 लाख रुपए का टारगेट दिया है। साथ ही बसपा से जुडऩे की सदस्यता शुल्क 50 रुपए से बढ़ा 200 रुपए कर दिया है। इसके साथ ही बसपा के उत्तराधिकारी के तौर पर अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर पहली ही बना रखा है। आकाश आनंद का राजनीतिक कैरियर यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें सहारनपुर की एक रैली से शुरू किया था।
आनंद ने ही 2019 में बसपा को सोशल इंजीनियरिंग से जोड़ा था और ट्विटर, फेसबुक पर बसपा की मौजूदगी दिखने लगी। बता दें कि मायावती 2019 के लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारक आनंद को बनाया था। 2019 में मायावती-अखिलेश की संयुक्त रैलियों में आनंद मंच पर दिखे थे। लेकिन 2022 के हुए विधान सभा चुनाव में कहीं भी नजर नहीं आए। आकाश आनंद मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। आकाश आनंद लंदन के एक कॉलेज से पढ़ाई की है। BSP कॉडर के कई पदाधिकारियों ने कहा कि बहनजी ने अपने भतीजे को नेशनल कोआर्डिनेटर तो जरूर बना दिया है, लेकिन जमीन पर बहुजनों की समस्याओं को जाने बिना राजनीति में फेल और फ्लॉप साबित होंगे। 2022 के चुनाव में कहीं भी नजर नहीं आए। जबकि जमीन से जुड़े और कॉडर के कई युवा नेताओं को अकारण ही पार्टी से निकाल दिया।
चंद्रशेखर आजाद, जय प्रकाश सिंह जैसे जुझारू नेताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज करने से पार्टी में असंतोष है। कभी BSP सुप्रीमो मायावती के करीबी नेताओं में शुमार दद्दू प्रसाद का कहना है कि बहनजी बहुजन मिशन से पूरी तरह से भटक चुकी हैं। बहनजी की न तो कोई नीति है और न ही सिद्घांत है। जिस तरह से जमीनी स्थिति जाने बगैर अपने भतीजे को बहनजी ने प्रोजेक्ट किया है उस तरह से पूरी उम्मीद है कि आकाश आनंद ‘राजनैतिक डब्बूÓ बन कर रह जाएंगे। साथ ही बसपा को भविष्य भी अंधकारमय दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि जब तक बसपा की कमान दूसरे किसी मिशनरी व्यक्ति के हाथ में नहीं आएगी तब तक बसपा राजनीतिक ग्राफ बढ़ाने वाला नहीं है।
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