उत्तर प्रदेशलखनऊ

BSP: बसपा ने जारी किया प्रेस नोट, जानिए पूरी खबर

BSP: लखनऊ। बी.एस.पी. प्रमुख मायावती द्वारा आज यहाँ उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारियों तथा ज़िला अध्यक्षों सहित पार्टी के अन्य सभी ज़िम्मेदार लोगों से देश व समाज को संकीर्ण जातिवादी एवं साम्प्रदायिक तत्वों की जकड़ से निकालने के लिए ख़ासकर दलित व अन्य अम्बेडकरवादी बहुजनों को एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्ति के लिए संघर्ष को और मजबूत और तीव्र करने का आह्वान।

पूर्व में कांग्रेस की तरह ही वर्तमान में भाजपा की भी गरीब विरोधी व धन्नासेठ समर्थक नीतियों एवं कार्यकलापों के विरुद्ध लोगों में वही आक्रोश व्याप्त है, जिस पर से लोगों का ध्यान बाँटने के लिए यह पार्टी भी किस्म किस्म के नये जातिवादी एवं साम्प्रदायिक हथकण्डों का इस्तेमाल करती रहती है और चुनाव में इसका लाभ भी ले लेती है।

विशेषकर चुनावों के समय में जनहित व जनकल्याण के किए गए लुभावने वादों को सरकार बन जाने पर उनको ईमानदारी से निभाने के बजाय उन्हें पूरी तरह से भुला देने आदि की तरह इसी प्रकार की अन्य नकारात्मक एवं घिनौनी राजनीति से आम जनहित व देश का कुछ भी भला नहीं होता है बल्कि जन समस्यायें यथावत बरकरार।

इतना ही नहीं यूपी सरकार द्वारा भी संवैधानिक दायित्वों को निभाने के वैधानिक कार्यों से अधिक धर्म को आड़ बनाकर अपनी राजनीति साधने में देश में कोई पीछे नजर नही आती है। यही कारण है कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य यूपी व पड़ौसी राज्य उत्तराखण्ड में भी महंगाई की जबरदस्त मार झेल रहे सर्वसमाज के करोड़ों लोग गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा व पिछड़ेपन आदि का अंधकार जीवन जीने को लगातार मजबूर हैं, यह अति-दुखद।

देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा धनबल, बाहुबल व सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से मुक्त पाक-साफ चुनाव कल की तरह आज भी बड़ी चुनौती। ऐसे में आमजनता का चुनावी तंत्र पर विश्वास की कमी संविधान व लोकतंत्र के लिए खतरे की घण्टी। इसीलिए संविधान के हिसाब से चेक एण्ड बैलेन्स की जो व्यवस्था है उसको लेकर सभी लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी होगी।

इसके साथ ही, अडाणी समूह व संभल मस्जिद को लेकर उभरा विवाद ऐसे चर्चित मुद्दे हैं जिसको लेकर सरकार व विपक्ष में जबरदस्त तकरार और टकराव के कारण संसद की कार्रवाई सुचारू रूप से नहीं चलने से वर्तमान शीतकालीन सत्र का महत्व शुन्य होना कितना उचित? संसद की कार्रवाई अवश्य चलनी चाहिए—सुश्री मायावती जी

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