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Dalit Atrocity: योगी की दलित विरोधी छवि गढऩे में लगे हैं कुछ आईएएस

सीएम के विभागों में दलित वैज्ञानिकों और अफसरों के साथ भेदभाव!

Dalit Atrocity: लखनऊ। यूपी में शिड्यूल कास्ट का अफसर होना अभिशाप है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि वरिष्ठा क्रम में सबसे आगे होने और पूर्ण अर्हता होने के बावजूद शिड्यूल कास्ट के अफसरों कई विभागों में  विभागाध्यक्ष नहीं बनाया जा रहा है। जबकि गैरशिड्यूल कास्ट के अनर्ह लोगों को नियम-कानून ताक पर रखकर विभागाध्यक्ष की कुर्सी दलित अफसरों का हक मारा जा रहा है। यह हाल मुख्यमंत्री के अधीन विभागों का है। मुख्यमंत्री की छवि दलित विरोधी गढऩे में कई विभागों के प्रमुख सचिव सीधी भूमिका निभा रहे हैं। शिड्यूल कास्ट के अफसरों साथ हो रहे भेदभाव की घटनाओं से सरकार की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं जिम्मेदार अफसरों ने चुप्पी साध ली है।

दलित वैज्ञानिकों की वरिष्ठा को किया जा रहा है नजर अंदाज

बताते चलें कि रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस सेंटर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभापति हैं। लेकिन अपने सभी अधिकार चेयरमैन और वरिष्ठ आईएएस पंधारी यादव को सौंप रखा है। पंधारी यादव ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विशेष सचिव को विज्ञान एवं प्रौद्योगिक परिषद के सचिव और रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस सेंटर का कार्यवाहक निदेशक की जिम्मेदारी सौंप रखा है। रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस के अधिकृत रिकार्ड के मुताबिक 24 अगस्त 2024 को रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस के कार्यवाहक निदेशक डा. पी. कुंवर द्वारा जारी वरिष्ठा सूची में 1 से 5 तक क्रमांक तक अनुसूचित  जाति के वैज्ञानिक हैं। जातीय भेदभाव के कारण कार्यवाहक निदेशक नहीं बनाया जा रहा है।

कार्यवाहक निदेशक के तौर पर आईएएस अफसर को इस सीट पर बिठा दिया गया है। इनमें से वरिष्ठा क्रम 3 के वैज्ञानिक वी.जे. गनवीर का निधन हो गया है। सबसे रोचक बात यह है कि वर्ष 2011 में पी.एन. शाह एक मात्र नियमित निदेशक थे। इसके बाद 2014 में देवेन्द्र मिश्र, राजीव मोहन, डा. ए.के.जे सिद्दीकी, डा. ए. एल हलधर, डा. ए.के. अग्रवाल, डा.पी. कुंवर कार्यवाही निदेशक बने। सबसे खास बात यह है कि ये सभी फारवर्ड समाज के थे। इसके बाद विशेष सचिव स्तर आईएएस के शिव प्रसाद को चार्ज हुआ।

वर्तमान समय में शीलधर सिंह यादव विशेष सचिव के साथ ही कार्यवाहक निदेशक हैं। बीते 13 साल से रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर का कार्यवाहक निदेशक फारवर्ड वर्ग से बनते गए। पूर्णकालिक निदेशक चयन की प्रक्रिया कई बार शुरू हुई और लाखों रुपए खर्च हुए। लेकिन सफलता नहीं मिली। अभी तक फारवर्ड वर्ग के वैज्ञानिक कार्यवाहक निदेशक बनते रहे है तब तक कोई आपत्ति नहीं थी। जैसे ही अनुसूचित जाति के वैज्ञानिक वरिष्ठïता क्रम में कार्यवाहक निदेशक बनने की अर्हता पूर्ण की, वैसे ही इन वैज्ञानिकों की अर्हता को नजर अंदाज करते हुए प्रमोटी आईएएस को कार्यवाहक निदेशक बना दिया है। तब से अब तक अनुसूचित जाति के वैज्ञानिक निदेशक बनने के लिए बाट जोह रहे हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आरएलडी कोटे से विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्री शिड्यूल कास्ट के हैं। इसके बावजूद दलित वैज्ञानिकों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिक के कुछ भ्रष्ट अफसर मंत्री अनिल कुमार और प्रमुख सचिव पंधारी यादव व विशेष सचिव शीलधर यादव के आंखों के तारे बने हुए हैं। अपने विधायकी  क्षेत्र की एक महिला पीसीएस के कथित भ्रष्टाचार को  विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्री अनिल कुमार सीरियसली मुखर होकर जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखते हैं। लेकिन अपने विभाग में हो रहे दलित वैज्ञानिकों के साथ भेदभाव और भ्रष्टाचार नजर नहीं आ रहा है।

दलित अभियंता को वनवास, नि:संवर्गीय को वरदान

नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग में उलटी गंगा बह रही हैं। यहां शिड्यूल कास्ट के अशोक कुमार अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात हैं। विभाग की वरिष्ठा सूची में नम्बर एक पर और मेरिट में 100 अंक प्राप्त हैं। निसंवर्गीय पद के सहायक वास्तुविद अनिल कुमार मिश्र को नियमों को ताक पर रखकर मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक का प्रभार दे रखा है। नियमों को ताक पर रखकर यह कारनामा मुख्यमंत्री के अधीन विभाग में प्रमुख सचिव द्वारा किया गया है। इससे मन नहीं भरा तो नियम विरूद्घ मूल विभाग से बाहर अलीगढ़ विकास प्राधिकरण में सम्बद्घ कर दिया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक दलित अफसर कितना ही योग्य और निष्ठावान व ईमानदार हो लेकिन वरीयता फारवार्ड वर्ग को मिलती है।

मशक्कत के बाद मिली कार्यवाहक निदेशक की कुर्सी

यह खेल उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में भी खेला गया था। उद्यान विभाग के इतिहास में पहली बार निदेशक की कुर्सी पर एक दलित अफसर की तैनाती होनी थी। इसको रोकने के लिए प्रयास किए गए। एक मामले में सस्पेंड करवाया गया। जिससे निदेशक न बन पाएं। निष्पक्ष दिव्य संदेश ने इस पक्षपाती मामले का खुलासा किया। शासन न जांच करवाई। इसके बाद निदेशक उद्यान की कुर्सी पर बी.पी. राम नियुक्त हुए।

डीएम पर मेहरबानी, दलित सीएमओ निलम्बित

दलित अफसरों के अन्याय की एक कानपुर की एक घटना में सीएमओ के साथ हुई। सीएमओ ने डीएम की अनियमितताओं को उजागर किया। जिससे डीएम महोदय बहुत आहत हुए कि एक दलित सीएमओ कैसे उनकी सत्ता को चुनौती दे रहा है। अपनी ताकत लगाकर दलित सीएमओ को हटवाने में सफल रहे। जबकि सीएमओ द्वारा डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप और जाति सूचक सम्बोधन पर कोई कार्रवाई नहीं की। उलटे सीएमओ को निलम्बित करने के साथ ही खुली जांच के आदेश भी करवा दिए।

जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी, विपक्षी दलों का प्रहार

विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग के प्रमुख सचिव पंधारी यादव और कार्यवाहक निदेशक शीलधर सिंह यादव ने कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। आवास एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव पी. गुरू प्रसाद से नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार से साथ भेदभाव के सवाल पर चुप्पी साध ली है।

पूर्व सांसद और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डा. पी.एल. पुनिया ने कहा कि दलितों के साथ भेदभाव और अन्याय का यह खेल सदियों से चल रहा है। योगी और मोदी सरकार में बढ़ गया है। शैक्षिण संस्थानों में नॉट फॉर सुइटएबिल का खेल चल रहा है। यही हाल हर सरकारी विभागों में है।

Dalit Atrocity
BJP Spoke Person Amik Jamai

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक जमाई ने कहा कि  सरकार हर स्तर पर दलितों के साथ अन्याय और भेदभाव कर रही है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण को सुनियोजित ढंग से खत्म किया जा रहा है।

Dalit Atrocity
BJP Spokes Person Sanjay Singh

भाजपा के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि कुछ अपवाद हो सकते हैं। लेकिन किसी भी सूरत में योगी सरकार दलितों के साथ किसी भी स्तर पर अन्याय नहीं कर रही है। विपक्षी पार्टियां सरकार को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा रही हैं।

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