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Bahujan Samaj Party : जमीन पर उतरें तो साकार हो सकता है मायावती का सपना

  • बसपा खो चुकी है दलित-मुस्लिम समाज का विश्वास
  • शिशुपाल सिंह

Bahujan Samaj Party

Bahujan Samaj Party : लखनऊ। शिखर से शून्य तक पहुंच चुकी बहुजन समाज पार्टी (BJP) के लिए लोकसभा की दो सीटों का उपचुनाव एक सुनहरा अवसर लेकर आया है। दलितों और मुस्लिमों के बल पर यूपी में सत्ता हासिल करने का सपना देखने वाली (BSP) बसपा सुप्रीमो मायावती की यह हसरत 15 बीते साल में भले ही न पूरी हो पाई हो, लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले 6 साल में मुस्लिम समाज का मोहभंग होने के संकेत मिल रहे हैं। सपा के विकल्प के तौर पर मुस्लिम समाज बसपा की ओर हसरत भरी निगाहों से देख रह है।

उल्लेखनीय है कि 2007 से लेकर 2022 तक विधान सभा और लोकसभा के हुए चुनाव में नजर डाले तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने सबसे अधिक मुस्लिम प्रत्याशियों को राजनीतिक भागेदारी दी। BSP पर मुस्लिम तुष्टïीकरण का आरोप भी लगा। बसपा की रणनीति थी कि अगर यूपी में दलितों का 22.5 प्रतिशत और मुस्लिमों का 20 प्रतिशत वोट मिल जाए तो यूपी की सत्ता आसानी से हासिल की जा सकती है। लेकिन BSP सुप्रीमो Mayawati का यह सपना कभी साकार नहीं हो पाया। इसकी अहम वजह यह रही कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिमों के दिलों में राज करने के लिए अयोध्या में कारसेवा के दौरान कारसेवाओं पर गोलियां चलवा दी थी। इस वजह से मुस्लिम समाज सपा की ओर इमोशनल तरीके से जुड़ गया था।

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बीते तीन दशक से यूपी का मुस्लिम समाज राजनीतिक तौर पर सपा को ही समर्थन कर रहा है। मुस्लिम समाज का यह लगाव सा के प्रति इतना था कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को मुल्ला मुलायम सिंह यादव का तमगा दे रखा है। 2012 से सपा की कमान Akhilesh Yadav  के हाथों में आने और सपा संस्थापक सदस्यों में शुमार व मुस्लिम समाज के बड़े नेता का जेल जाने पर कोई भी सहयोग न होने से मुस्लिम समाज में काफी नाराजगी बढ़ी। इसके बावजूद 2022 के विधान सभा चुनाव में सपा को मुस्लिमों का 98 प्रतिशत वोट मिला।

वरिष्ठï पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मसूद हसन का कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती मुस्लिम समाज का विश्वास पूरी तरह से खो चुकी है। इसकी अहम वजह यह है कि 2007 से लेकर 2012 तक बसपा को मुस्लिम समाज ने 60 प्रतिशत तक वोट दिया था। लेकिन BSP सुप्रीमो Mayawati हर बार मुस्लिमों की ही आलोचना करती हैं। इसके साथ ही मुस्लिम समाज में चर्चा है कि बसपा भाजपा की बी टीम बन चुकी है। इससे BSP को काफी नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि यह विरोधी पार्टियों द्वारा बात उड़ाई जा रही है कि मुस्लिम समाज का सपा से मोहभंग हो चुका है। यह गलत है। अभी मुस्लिम समाज के पास कोई विकल्प नहीं है।

इस वजह से मुस्लिमों का लगाव सपा के प्रति बना हुआ है। वरिष्ठï पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कमल जयंत का कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती की गलत नीतियों के कारण परम्परागत दलित वोट बैंक बसपा से खिसक चुका है। साथ ही आंदोलन से पूरी तरह से विमुख हो चुकी हैं। इसलिए अब BSP सुप्रीमो Mayawati चाहे जितने भी प्रयास कर लें न तो दलित वोट बैंक उनके साथ आएगा और न ही मुस्लिम वोट बैंक। इसकी वजह यह है कि बसपा सुप्रीमो मायावती कई मौकों पर कह चुकी हैं कि मुस्लिम ने उनको वोट नहीं दिया है। इसके साथ ही मुस्लिम समाज को लगता है कि बसपा भाजपा की बी टीम है। इस वजह से भी Bahujan Samaj Party को वोट करने में हिचकिचाता है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में BSP ने भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए बड़े ही कूटनीतिक ढंग से आजमगढ़ की सीट पर गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है। जबकि रामपुर की सीट पर कोई प्रत्याशी न उतार कर भाजपा को दलित वोट बैंक शिफ्ट कराने पर मुहर लगाई है। जबकि आजमगढ़ सीट पर गुड्डू जमाली भाजपा के उम्मीदवार का रास्ता क्लियर करने में मददगार साबित होंगे। उन्होंने कहा कि अगर बसपा सुप्रीमो Mayawati अपनी कार्यशैली में बदलाव लाकर जमीन पर उतरें तो संभावना है कि समाज का हर वर्ग सहयोग करेगा। खास तौर से दलित और मुस्लिम समाज का वोट मिल सकता है।

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सपा हारेगी दो सीट, भाजपा के जीतने की संभावना

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लोकसभा की दो सीटों आजमगढ़ और रामपुर पर सपा का कब्जा रहा है। आजमगढ़ सपा मुखिया Akhilesh Yadav  के सीट छोडऩे और रामपुर सीट से आजम खां के छोडऩे के बाद हो रहे उपचुनाव में सपा की साख दांव पर है। भाजपा ने आजमगढ़ सीट से भोजपुरी फिल्मों के लोकप्रिय कलाकार दिनेश लाल यादव को और रामपुर सीट से घनश्याम लोधी को मैदान में उतरा है। जबकि सपा ने आजमगढ़ सीट से धर्मेंद्र यादव और रामपुर से आसिम रजा को लड़ाया है। BSP ने आजमगढ़ की सीट पर गुड्डïू जमाली को मैदान में उतारा है। जबकि रामपुर की सीट पर कोई भी प्रत्याशी उतारने से मना कर दिया है।

वरिष्ठï पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सी. लाल का कहना कि लोकसभा के उपचुनाव की दोनों सीटों पर सपा की हार तय है। इसकी वजह यह है कि प्रत्याशियों का नाम तय करने में सपा काफी पीछे रही। रामपुर की सीट पर मोहम्मद आजम खां की निष्क्रियता की वजह से यह सीट भाजपा के खाते में जाने की पूरी संभावा है। BSP ने भी इस सीट पर उम्मीदवार न उतार कर भाजपा की काफी मदद की है। दलित वोट भाजपा को शिफ्ट हो जाएगा। आजमगढ़ की सीट पर भाजपा और Bahujan Samaj Party के प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर है। इसमें संभावना है कि अगर मुस्लिमों ने बसपा प्रत्याशी गुड्डïू जमाली को वोट किया तो बसपा का प्रत्याशी जीत सकता है। लेकिन सबसे अधिक संभावना भाजपा के प्रत्याशी के जीतने की है।


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