Lucknow News: लखनऊ रिटायर्ड जज की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक, आत्महत्या मामले में नया मोड़

Lucknow News: लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक बड़ी खबर सामने आई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में अहम फैसला सुनाया है, जहाँ एक रिटायर्ड जज के नौकर ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अनिल कुमार और उनकी पत्नी वंदना श्रीवास्तव को आरोपी बनाया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने अब उनकी गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक लगा दी है। ये फैसला इस संवेदनशील मामले को एक नया मोड़ दे रहा है।
आखिर क्या है पूरा किस्सा?
ये मामला तब सामने आया जब महेश नाम के एक शख्स ने, जो न्यायमूर्ति अनिल कुमार के घर नौकर था, 18 मार्च 2025 को अलीगंज थाने में कबूल किया कि उसने जज साहब के घर से ₹6.5 लाख चुराए थे। महेश ने ये भी बताया था कि उसने चोरी की रकम में से 90,000 और 38,000 लौटा दिए हैं। थाने में महेश, उसकी पत्नी कविता निषाद और भाई शंकर निषाद के बीच एक लिखित समझौता भी हुआ था, जिसमें महेश ने बाकी पैसे छह महीने में लौटाने की बात कही थी।
लेकिन, इस घटना के ठीक 13 दिन बाद महेश ने खुदकुशी कर ली।
पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप
महेश की मौत के बाद, उसकी पत्नी कविता निषाद ने 2 अप्रैल को अलीगंज थाने में FIR दर्ज कराई। कविता का आरोप था कि रिटायर्ड जज और उनकी पत्नी ने उनके पति पर इतना मानसिक दबाव बनाया कि महेश ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। FIR में आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराएं भी लगाई गईं, जिससे मामला और भी पेचीदा हो गया।
हाईकोर्ट ने क्यों दी राहत?
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अनिल कुमार और उनकी पत्नी ने इस FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनकी तरफ से कोर्ट को बताया गया कि महेश पर पहले से ही बैंकों का भारी कर्ज था और उसका मकान भी नीलाम होने वाला था, जिसकी वजह से वो काफी तनाव में था। उनकी दलील थी कि ऐसे में सिर्फ उन्हें आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है।
न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की बातें ध्यान से सुनीं। कोर्ट ने पाया कि पहली नजर में ये मामला आत्महत्या के लिए उकसाने का नहीं लगता है। पीठ ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ऐसे कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं, जिनसे ये साबित हो सके कि उन्होंने जानबूझकर महेश को आत्महत्या के लिए उकसाया।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को चार हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। तब तक, रिटायर्ड न्यायमूर्ति अनिल कुमार और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी पर रोक जारी रहेगी।
अब आगे क्या?
हाईकोर्ट के इस फैसले से रिटायर्ड जज और उनकी पत्नी को फिलहाल बड़ी राहत मिली है। अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश सरकार के जवाब पर टिकी हैं। ये देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या नए तथ्य या सबूत पेश करती है, जो इस पूरे केस की दिशा तय करेगा।
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