दिव्य सन्देश विशेष

Mayawati : मुस्लिम एजेंडें पर लौंटी बसपा!

  • अम्बेडकर नगर सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारा और रामपुर सीट पर आजम खां को किया समर्थन

Mayawati : लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी बार-बार गलती दोहरा रही है। 2007 से लेकर 2022 तक हुए विधान सभा और लोकसभा के चुनाव में बसपा मुस्लिमों को राजनीतिक भागेदारी देने का प्रयास करती आई है, लेकिन हर बार मुस्लिम समाज बसपा को नकार रहा है। इसके बावजूद बसपा ने दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव में मुस्लिम समाज पर भरोसा जताया है।

बताते चलें कि भाजपा के तेजतर्रार नेता वरुण गांधी ने वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भडक़ाऊ भाषण दिया था और कहा था कि आपकी तरफ अगर कोई हाथ उठाया तो वरुण गांधी उस हाथ को काट डालेगा। उन्होंने ये भी कहा था कि आप लोगों की इज्जत पर कोई हाथ डालेगा तो उसे वरुण गांधी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने गिरफ्तार करवा कर जेल भेज दिया था। इसी तरह उनकी सरकार के कार्यकाल में राम जन्म भूमि का फैसला हाईकोर्ट से आया था। उस समय भी कानून-व्यवस्था को लेकर इतनी सख्त पाबंदियां की गई थी कि दंगाई को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए थे। इन सारी व्यवस्थाओं के चलते न तो कोई दंगा हुआ और न ही कोई घटना घटित हुई। सब कुछ शांतिपूर्वक बीत गया।

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बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम द्वारा दिए गए मंत्र को आत्मसात कर बसपा सुप्रीमो मायावती मुस्लिम समाज पर अटूट विश्वास है। इसी का नतीजा है कि मुस्लिम समाज के नेताओं को स्थापित करने में प्राथमिकता देती है और राजनीतिक भागेदारी के तहत सबसे ज्यादा टिकट भी देती हैं। इसके बावजूद मुस्लिम समाज बसपा पर विश्वास नहीं कर रहा है।

यहाँ पढ़े:BSP Party : 14 साल से राजनीतिक भागेदारी देने के बावजूद मुस्लिमों के दिल में नहीं उतर पाई बसपा!

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठï पत्रकार सी. लाल का कहना है कि अगर देखा जाए तो बसपा ही मुस्लिम समाज के सच्ची हितैषी पार्टी है। बसपा सरकार के राज में कानून का राज होता है। किसी भी वर्ग विशेष को बढ़ावा नहीं दिया जाता है। यह सही है कि बसपा सुप्रीमो मायावती मुस्लिम समाज को अपने साथ लाने के लिए अन्य राजनीतिक दलों की तरह नाटक नहीं करती हैं। सब्जबाग नहीं दिखाती हैं। मुस्लिम समाज को एहसास होता है कि बसपा भाजपा की बी पार्टी है। जबकि अगर बसपा सुप्रीमो मायावती के विजन पर गंभीरता से मंथन किया जाए तो साफ दिखता है कि यूपी में 22 फीसदी दलित और 20 फीसदी मुस्लिम समाज एक साथ आ जाए तो सत्ता की चाभी बसपा के हाथ यानी कानून के हाथ में होगी। यह बात सभी राजनीतिक दल जानते हैं कि अगर बसपा सुप्रीमो मायावती का मिशन सफल हो गया तो किसी भी वर्ग के चरमवादी को कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने का मौका नहीं मिलेगा।

मुस्लिम समाज का विश्वास जीतने में फेल होने के बावजूद मायावती ने लोकसभा की दो सीटों अम्बेडकर नगर और रामपुर के होने वाले दो उपचुनाव में मुस्लिम एजेंडे पर ही विश्वास जताया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा छोड़ी गई अम्बेडकर नगर की सीट पर मुस्लिम समाज के गुड्डïू जमाली को मैदान में उतारा है। मोहम्मद आजम खां के प्रभाव वाली सीट पर प्रत्याशी न उतारने की घोषणा कर अपनी नीति और रीति साफ कर दी है। इन सब संकेतों से पता चलता है कि बसपा 2024 में होने वाले लोकसभा के आमचुनाव में मुस्लिम समाज पर फोकस करेगी।

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