Tuesday, March 21, 2023
More
    Homeराष्ट्रीयजलवायु परिवर्तन से मंडरा रहा है सारस पर संकट

    जलवायु परिवर्तन से मंडरा रहा है सारस पर संकट

    Climate Change : इटावा। उत्तर प्रदेश के इटावा में अमर प्रेम के प्रतीक सारस पक्षी का प्रजनन जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण बुरी तरह से प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

    सारस पक्षी की गणना करने वाली पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के चेयरमैन डा.राजीव चौहान ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि मानसून की लेट लतीफी के चलते सारस पक्षी के प्रजनन के बुरी तरह से प्रभावित होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। सामान्यता जुलाई में सारस के अंडे धान के खेतो में दिखने लगते थे लेकिन इस दफा यह नजर नही आ रहे है।

    उन्होने बताया कि वो और उनकी टीम दो महीने के सर्वे करने मे जुटी हुई है जहॉ केवल तीन या चार नेस्ट ही मिले है। उनकी संस्था वन विभाग के सहयोग से पिछले 20 सालो से सारस गणना का काम करने मे जुटे हुए है लेकिन पहली दफा ऐसे हालत नजर आते हुए दिख रहे है। इस पहले इस अवधि मे कम से कम 60 नेस्ट देखने को मिल जाया करते थे । पिछले साल 45 के आसपास नेस्ट मिले थे इस दफा अभी तक मात्र 4 या 5 ही नेस्ट मिले है।

    यहाँ पढ़े  : पुलिस बल के प्रति जनता के विश्वास को बढ़ाने का पर्व है जन्माष्टमी : योगी

    उनका उम्मीद जतायी कि सितंबर मध्य तक हालात कुछ बेहतर हो सकते हैं।

    देश में सारस की कुल आबादी की 70 फीसदी यूपी में निवास करती है। इसके साथ ही देश के जम्मू कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में भी कहीं कहीं यह निवास करते हैं। भारत के अलावा सारस नेपाल, पाकिस्तान, चाइना, म्यानमार, कम्बोडिया, थाईलैंड, वियतनाम व आस्ट्रेलिया में भी पाए जाते हैं । सैफई के निकट समान कटरा वेटलेंड क्षेत्र पर सारस विश्व में सबसे अधिक संख्या में पाए जाते हैं। यही कारण है कि सैफई में विश्व स्तर की कान्फ्रेंस आयोजित की गई ।

    उत्तर प्रदेश का इटावा जिला सारस पक्षी के सबसे बडे आशियाने के तौर पर देश दुनिया के मानचित्र पर काबिज है।सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 में इटावा के सभी तालाबों,झाबरों को ऊसर सुघार योजना के तहत समाप्त किया जा रहा था तब इलाहबाद उच्च न्यायालय में बाइल्ड ट्रस्ट आफॅ इडिण्या ने एक याचिका दायर कर इस परियोजना से तालाबों को होने वाले नुकसानों को रोकने की पहल की।

    किसानों का मित्र माना जाने वाले सारस का वजन औसतन 12 किग्रा, लम्बाई 1.6 मीटर तथा जीवनकाल 35 से 80 वर्ष तक होता है। सारस वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनूसूची में दर्ज हैं। देश में सारस की 6 प्रजातियां है। इनमें से 3 प्रजातियां इंडियन सारस क्रेन,डिमोसिल क्रेन व कामन क्रेन है, भारतीय उपमहादीप में सारस पक्षियों की अनुमानित संख्या 8 हजार है,इनमें अकेले इटावा में 2500 सारस है अनूकूल भौगोलिक परिस्थितियां सारसों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है, अनकूल पानी के जल क्षेत्र,धान के खेत, दलदल, तालाब, झील व अन्य जल स्त्रोत पाये जाते है। दल-दली क्षेत्रों में पाई जाने वाली घास के टयूबर्स, कृषि खाद्यान्न, छोटी मछलियां, कीड़े-मकोड़े, छोटे सांप, घोघें, सीपी आदि भोजन के तौर पर सारसों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है।


    यहाँ पढ़े  : बीस साल से फरार तीन बच्चो के कातिल को पुलिस ने किया गिरफ्तार, साधु बनकर बीस साल से था फरार

    ई-पेपर :http://www.divyasandesh.com

    RELATED ARTICLES
    - Advertisment -

    Most Popular

    Recent Comments