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नूपुर शर्मा मामले में याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विरुद्ध एक याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया है। इस याचिका में सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से अधिकारियों को नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित टिप्पणी और मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करने के लिए कार्रवाई करने और उन्हें अरेस्ट करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करने वाले वकील अबू सोहेल को रजिस्ट्रार के पास भेज दिया है। वकील ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि शिकायत के बाद भी पुलिस द्वारा नूपुर शर्मा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। याचिका को लेकर कोर्ट ने कहा है कि, अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख क्यों? पहले रजिस्ट्रार के पास केस को सूचिबद्ध कराएं। वकील अबू सोहैल ने बाद में कहा कि उन्होंने रजिस्ट्रार के सामने केस को उठाया है और इस पर 11 जुलाई को सुनवाई होने का अनुमान है। याचिका में कहा गया है कि शर्मा ने पैंगंबर मोहम्मद और मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसलिए मामले की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच के लिए निर्देश दी जाए, जिससे फ़ौरन गिरफ्तारी सुनिश्चित हो सके।

 

इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि नूपुर शर्मा का बयान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 26 और 29 और अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं। वकील अबू सोहैल ने कहा कि, नूपुर शर्मा के शब्दों ने देश और दुनिया में अशांति पैदा की और बखेड़ा खड़ा कर दिया है, जिसके कारण हमारे देश की छवि खराब हुई है।

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