Monday, March 20, 2023
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    राधारमण मन्दिर के मुख्य विगृह के प्राकट्योत्सव पर भक्ति कर रही है नृत्य

    Radha raman : मथुरा। कान्हा नगरी मथुरा में राधारमण मन्दिर के 480वें प्राकट्योत्सव के अवसर पर वृन्दावन का कोना कोना कृष्णमय हो गया है और यहां चहुंओर भक्ति नृत्य कर रही है। राधारमण मन्दिर में विगृह न केवल स्वयं प्राकट्य है बल्कि यहां की परंपराएं आज भी अपने भीतर प्राचीनता को समेटे हुए हैं।

    मन्दिर की स्थापना से लेकर आज तक पूजन में माचिस का प्रयोग नही किया गया। अरण्य मन्थन से 480 वर्ष पूर्व मन्दिर के रसोईघर में प्रज्वलित की गई अग्नि आज भी प्रज्वलित हो रही है। मन्दिर के सेवायत आचार्य अनिल गोस्वामी ने बताया कि इस मन्दिर का विगृह महान भक्त गोपाल भट्ट गोस्वामी को नेपाल में गंडकी नदी में स्वयं ठाकुर ने उपलब्ध कराया था। स्नान के दौरान उनकी धोती में आए शालिग्राम को गोस्वामी ने जब ग्रहण नहीं किया तो आकाशवाणी से उन्हें इसे ले जाने का आदेश हुआ था। यह उनकी अनन्य भक्ति का ही प्रभाव है कि शालिग्राम से ठाकुर स्वयं प्रकट हुए जो आज मुख्य विगृह के रूप में पूजित हैं।

    उन्होंने बताया कि ठाकुर के विगृह का श्रृंगार करने माहिर होने के कारण गोपाल भट्ट स्वामी गोविन्ददेव, गोपीनाथ और मदनमोहन मन्दिर में भी नित्य ठाकुर का श्रंगार करने जाते थे और राधारमण महराज का भी श्रंगार करते थे। जब वे बहुत अधिक वृद्ध हो गए तो उनके लिए अन्य मन्दिरों मे जाना मुश्किल हो गया।

    एक शाम उन्होंने ठाकुर से प्रार्थना की कि तीनो विगृह के रूप में वे उन्हें सेवा का अवसर दें। कहते हैं कि सच्चे भक्त को भगवान कभी निराश नही करते और ऐसा ही गोस्वामी के साथ हुआ। जब अगले दिन वे ठाकुर का श्रंगार करने लगे तो उनके अचानक अश्रु धारा बह निकली क्योकि ठाकुर ने उनकी विनती स्वीकार कर ली और उन्होने अपने अन्दर तीनो मन्दिरों के विगृह समेट लिया था। उनका मुख गोविन्ददेव , वक्षस्थल गोपीनाथ की तरह का एवं चरण मदनमोहन जी श्री राधारमण के विगृह में समाहित हो गए थे।

    Radha raman


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