लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर: भारत में ही बनेंगे हाई-टेक सेमीकंडक्टर इंफ्रारेड डिटेक्टर!

Semiconductor: लखनऊ, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, जो पहले से ही ब्रह्मोस मिसाइल के लिए जानी जाती है, अब रक्षा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने जा रही है। डिफेंस कॉरिडोर में अब स्वदेशी तकनीक से सेमीकंडक्टर इंफ्रारेड डिटेक्टर बनाए जाने की तैयारी है, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा।
सेमीकंडक्टर इंफ्रारेड डिटेक्टर क्या है?
सेमीकंडक्टर इंफ्रारेड डिटेक्टर (Semiconductor Infrared Detector) एक ऐसा अत्याधुनिक उपकरण है, जो अंधेरे में भी थर्मल इमेजिंग की सुविधा देता है। यह इंफ्रारेड रेडिएशन को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलता है, जिससे अंधेरे में भी साफ इमेज तैयार होती है। वर्तमान में, भारत इस महत्वपूर्ण तकनीक के लिए इजरायल और फ्रांस पर निर्भर है और हर साल लगभग 5,000 ऐसे डिवाइस आयात करता है। इस नई परियोजना से भारत की रक्षा प्रणाली आत्मनिर्भर और अधिक शक्तिशाली बनेगी।
Semiconductor: डिफेंस कॉरिडोर में नई परियोजना
यह नई पहल रक्षा मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एक सहयोग का परिणाम है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने इस परियोजना के लिए देहरादून स्थित डीआरडीओ के इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (आईआरडीई) को 10 हेक्टेयर जमीन मुफ्त में देने का फैसला किया है। यह जमीन लखनऊ-उन्नाव बॉर्डर पर बन रहे डिफेंस नोड में आवंटित की जाएगी।
इस परियोजना के तहत निम्नलिखित उपकरण बनाए जाएंगे:
- मल्टी-सेंसर सर्विलांस सिस्टम
- थर्मल इमेजिंग सिस्टम
- ऑप्टो-इलेक्ट्रिकल उपकरण
- मिड-वेव डेवर कूलर असेंबली
ये सभी उत्पाद ब्रह्मोस मिसाइल सहित अन्य रक्षा प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इजरायल के सहयोग से आत्मनिर्भर भारत
इस परियोजना को साकार करने के लिए भारत इजरायल के साथ मिलकर काम कर रहा है। इंडो-इजरायल मैनेजमेंट काउंसिल के माध्यम से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस साझेदारी से न केवल भारत को महत्वपूर्ण तकनीक मिलेगी, बल्कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।
इस परियोजना के शुरू होने से रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। सरकार का अनुमान है कि इससे कम से कम 150 इंजीनियरों और 500 अन्य कर्मचारियों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
यह पहल प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के अनुरूप है, जो भारत को रक्षा उत्पादन का एक वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य रखती है।
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