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Treasure: लखनऊ के महावीर हनुमान मंदिर में नवाबों के जमाने का मिला खजाना!

हनुमान जयंती से पहले मंदिर से जुड़ीं ऐतिहासिक धरोहरें आईं सामने

Treasure: लखनऊ, के प्रसिद्ध महावीर हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती से पहले एक अद्भुत खोज हुई है। मंदिर को अतिक्रमण से मुक्त कराने के दौरान पुराने ढांचे को हटाते समय वहां नवाबों के समय की ऐतिहासिक धरोहरें सामने आई हैं। ये धरोहरें न सिर्फ इतिहास प्रेमियों को रोमांचित कर देंगी बल्कि मंदिर के महत्व को भी बढ़ा देंगी.

लाखौरी ईंटों से बना खूबसूरत गेट आया सामने

पाई गई धरोहरों में सबसे महत्वपूर्ण है लाखौरी ईंटों से बना हुआ एक खूबसूरत गेट। इस गेट पर दो मछलियों का चिन्ह, सूर्य का चिन्ह और ताम्रपत्र भी पाए गए हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार और अतिक्रमण हटाने के काम की देखरेख कर रहे राजेश पाण्डेय का कहना है कि आसपास सफाई जारी है और यह भी संभावना है कि सामने की इमारत भी लाखौरी ईंटों की बनी हो।

1783 में बना था ये मंदिर

इतिहासकार डॉक्टर योगेश प्रवीन ने अपनी किताब “लखनऊ नामा” में इस मंदिर का उल्लेख किया है। उनके अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1783 में केसर विक्रेता लाल जटमल ने करवाया था। किताब में ये भी लिखा है कि मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को महंत खासा राम को सपने में मिले निर्देश के आधार पर जमीन से प्राप्त किया गया था।

क्या है मंदिर का महत्व?

मंदिर अपनी प्राचीनता के साथ-साथ चमत्कारों के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यहीं पर एक साधु को हनुमान जी के दर्शन हुए थे। इस कारण इस मंदिर को सिद्ध पीठ माना जाता है। इतिहास बताता है कि नवाब वाजिद अली शाह भी यहां भंडारा करते थे और मंगल की प्रथा भी इसी मंदिर से शुरू हुई थी। किताब “लखनऊ नामा” के अनुसार हर बड़े मंगल पर यहां हनुमान जी के दर्शन होते हैं, जिस कारण यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

अतिक्रमण से मुक्ति और ऐतिहासिक धरोहरों की खोज

लंबे समय से मंदिर पर अवैध कब्जा था। मंदिर ट्रस्ट के प्रयासों से अब अतिक्रमण हटाया जा रहा है। इस दौरान 1920 का अवध के कोर्ट का जजमेंट भी मिला है, जो मंदिर के गौरवशाली इतिहास का साक्ष्य देता है।

धरोहरों को संरक्षित करेगा पुरातत्व विभाग

पाई गईं ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी पुरातत्व विभाग (एएसआई) को दे दी गई है। विभाग जल्द ही इनका सर्वेक्षण करेगा ताकि इन्हें लखनऊ की अन्य ऐतिहासिक इमारतों की तरह संरक्षित किया जा सके।

यह खोज निश्चित रूप से लखनऊ के इतिहास और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है। ये धरोहरें शहर के गौरवशाली अतीत को दर्शाती हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।

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