Uncategorized

दूर से ही साप को सूंग लेता है ये सपेरा , मिंटो में कर लेता है नागराज को बस में

Snake catcher : सांप का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों की हालत पतली हो जाती है, लेकिन इस दुनिया में ऐसे भी कुछ लोग हैं जो सांप को देखते ही उसे पकड़ना पसंद करते हैं. दरअसल, छत्तीसगढ के रायपुर जिले में एक ऐसा सपेरा है जो सूंघकर सांप को पकड़ लेने की कला जानता है.

जानवर या जीव-जंतुओं को गंध सूधने की क्षमता के बारे में कई बार सुना है लेकिन कोई आदमी गंध से सांप की जगह को पहचान ले, यह हैरान करने वाली बात है. लेकिन ये बात सच है कि वह सपेरा अपनी सूंघने की ताकत से सांप को पक़डकर लेता है और लोगों को उसका खेल दिखाता है.

यहाँ पढ़े   : बुंदेलखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने किया झांसी मंडलायुक्त का सम्मान

खेल दिखाने के बाद जंगल में छोड़ देता है सांप

जानकारी के मुताबिक, सिलयारी गांव में मोहम्मद शंकर नाम एक सपेरा रहता है. वह पिछले कई सालों से रायपुर जिले के अलावा कई जगहों पर जाकर लोगों से सांप के रहने की जगह पूछता है और वहीं से तुरंत बीन बजाकर सांप को पकडकर ले आता है और गांव में खेल दिखाकर सांप को जंगल में छोड आता है. यह उसका रोज का काम है.

50-100 मीटर दूर से ही सूंघ लेता है सांप की गंध

लोगों का कहना है कि सांप जिस जगह पर रहता है उस स्थान को शंकर करीब 50 से 100 मीटर दूर से ही मिट्टी की गंध सूंघकर पहचान लेता है और उस स्थान पर जाकर बीन बजाता है. फिर सांप बाहर निकल आता है. सपेरे शंकर का कहना है कि सांप जब बिल में घुसता है तो उसके पेट का निशान मिट्टी पर पड़ता है. उस जगह से गंध उसकी नाक में आ जाती है. इसी से पहचान कर सांप की जगह तक पहुंच जाता है और उसे पकड़ लेता है.

बंगाल में सीखी सांप पकड़ने की विद्या

सपेरे का कहना है कि उसने ये विद्या बंगाल के अपने गुरू से सीखी थी. वह पिथले करीब दस साल से लोगों को सांप का खेल दिखाता आ रहा है. शंकर का कहना है कि वह सांप पकडने का काम आषाढ से कार्तिक माह तक ही करता है. इस बीच प्रत्येक वारों का भी समय रहता है. जैसे रविवार को सुबह 6 से 9 बजे तक, गुरूवार और शुक्रवार को दिनभर तथा बाकी दिनों में एक या दो घंटे का समय रहता है. उसी बीच में सांप पकडते हैं.

Snake catcher


यहाँ पढ़े   : सरकारी नौकरी करने वालो के लिए बड़ी खबर , मिलने वाला है प्रमोशन , दो से तीन हफ्ते में होगा ऐलान

ई-पेपर :http://www.divyasandesh.com

Related Articles

Back to top button