‘Jai Bheem जय समाजवाद के नारे ने बढ़ाई बसपा की धड़कन
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अखिलेश पर हमलावर हुई मायावती
एनडीएस ब्यूरो
लखनऊ। बबुवा पर बुवा खासी मेहरबान हैं। यह मेहरबानी तब और बढ़ गई है जब सपा ने सड़क से लेकर विधान सभा के अंदर तक ‘Jai Bheem, जय समाजवादÓ का नारा बुलंद किया है। तब से बुवा बबुवा के प्रति काफी आक्रामक राजनीतिक प्रहार कर रही हैं। इस राजनीतिक प्रहार के पीछे अपनी परम्परागत दलित वोट बैंक को सपा से बचाने की मंशा है। जबकि बबुवा की बुवा के प्रति श्रद्घा भाव से जहां अम्बेडकरवादियों का सपा के प्रति सहानुभूति बढ़ी है वहीं बसपा की धड़कन बढ़ा रहा है।
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बताते चलें कि बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव के बीच बुआ और बबुआ का रिश्ता 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के लिए हुए गठबंधन में जनता के सामने आया था। इस गठबंधन से सपा को नुकसान और बसपा को फायदा हुआ था। बसपा के जीरो से 10 सांसद जीतने में सफल रहे थे। इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह आरोप लगाते हुए गठबंधन से नाता तोड़ लिया था कि बसपा को यादव समाज ने वोट नहीं दिया। इस झटके के बाद सपा मुखिया अखिलेश ने बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रति कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया था।
अभी तक कोई भी टिप्पणी नहीं की है। जिससे दलित समाज में नाराजगी पैदा हो। 2019 और 2022 के चुनाव परिणामों ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को यह एहसास करा दिया कि अम्बेडकवादियों को साथ लिए बगैर यूपी में सत्ता पर काबिज नहीं हो सकते हैं। तब से सपा मुखिया ने बसपा कॉडर के नेताओं को सपा में शामिल कर महत्व देना शुरू कर दिया है। इसका यह असर है कि बसपा के अधिकतर नेता मौजूदा समय में सपा पार्टी में शामिल हैं।
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राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठï पत्रकार वीरेन्द्र नाथ भट्टï का कहना है कि बसपा 2015 से अपने बहुजन वैचारिक स्टैंड से बदलने के कारण राजनीतिक तौर पर कमजोर हुई है। बहजनी जब से सत्ता से बाहर हुई हैं तब से अब तक न तो आरक्षण के क्षरण पर और न ही दलितों के उत्पीडऩ पर प्रभावी रूप से पक्ष रखा है। यही वजह है कि दलितों का भी बसपा से मोहभंग हुआ है। भाजपा ने दलितों के वोट बैंक पर कब्जा कर लिया है। लेकिन कभी भाजपा के नेता इसको लेकर बयानबाजी नहीं करते हैं। जबकि सपा ने दलित वोट बैंक को अपने खेमें में लाने के लिए जय भीम, जय समाजवाद का नारा दिया है। सपा के इस नारे की वजह से बहनजी चिढ़ी हुई हैं।
जब तक सपा और सपा मुखिया अखिलेश यादव पर राजनैतिक प्रहार कर ही हैं। विख्यात लेखक और बहुजन डायवर्सिटी मिशन के संस्थापक एच.एल. दुसाद का कहना है कि सपा और बसपा ने सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाना बंद कर दिया है। इसी वजह से सपा और बसपा सत्ता से दूर हो रही हैं। बहनजी भाजपा पर सवाल खड़ा करने के बजाए कांग्रेस पर हमला करती हैं, जबकि यूपी में भाजपा सत्ता में हैं और उसको कठघरे में खड़ा करने के बजाए सपा पर हमलावर हैं। जबतक इन दोनों के विकल्प नहीं मिलता है तब तक बहुजनों का शोषण नहीं रुकेगा।
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