काबुल में हंगामा! तालिबान ने दो दिन में तीन पत्रकारों को उठाया!
मीडिया संगठनों ने जताया विरोध
Afghanistan: काबुल, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान ने पिछले दो दिनों में तीन पत्रकारों को हिरासत में लिया है। इस घटना को लेकर मीडिया संगठनों ने कड़ी निंदा की है और पत्रकारों की रिहाई की मांग की है।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) ने एक बयान में कहा कि तालिबान की खुफिया एजेंसी ने 24 और 25 जनवरी को तीन पत्रकारों को हिरासत में लिया। बयान में कहा गया है कि इन पत्रकारों पर किन आरोपों के तहत उन्हें हिरासत में लिया गया है, इसकी जानकारी नहीं है।
आईएफजे ने कहा कि तालिबान द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाया जाना चिंताजनक है। आईएफजे ने कहा, “हम तालिबान से आग्रह करते हैं कि वह इन पत्रकारों को तुरंत रिहा करे और पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति दे।”
द रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (RSF) ने भी तालिबान की कार्रवाई की निंदा की है। आरएसएफ ने कहा, “तालिबान द्वारा पत्रकारों को हिरासत में लेना स्वतंत्र मीडिया पर हमला है। हम मांग करते हैं कि तालिबान इन पत्रकारों को रिहा करे और भविष्य में ऐसी कार्रवाई न करे।”
यह पहली बार नहीं है जब तालिबान ने पत्रकारों को निशाना बनाया है। पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और धमकियों में वृद्धि हुई है।
कुछ पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जबकि अन्य लोग भूमिगत हो गए हैं। तालिबान ने पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोकने के लिए कई प्रतिबंध लगाए हैं।
मीडिया संगठनों का कहना है कि तालिबान की कार्रवाई अफगानिस्तान (Afghanistan) में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा है। वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह कर रहे हैं कि वह तालिबान पर दबाव डाले कि वह पत्रकारों को रिहा करे और प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करे।
यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि तालिबान इन पत्रकारों को कब रिहा करेगा। हालांकि, यह उम्मीद की जाती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव तालिबान को इन पत्रकारों को रिहा करने के लिए मजबूर करेगा।
पत्रकारों की गिरफ्तारी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
- तालिबान ने इन पत्रकारों को क्यों हिरासत में लिया?
- इन पत्रकारों पर क्या आरोप हैं?
- तालिबान कब तक इन पत्रकारों को हिरासत में रखेगा?
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान पर क्या दबाव डाल सकता है?
यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले दिनों में इन सवालों के जवाब मिलेंगे। हालांकि, फिलहाल यह स्पष्ट है कि तालिबान द्वारा पत्रकारों की गिरफ्तारी अफगानिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा है।
मीडिया संगठनों की प्रतिक्रिया
- आईएफजे ने तालिबान से आग्रह किया है कि वह इन पत्रकारों को तुरंत रिहा करे और पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति दे।
- आरएसएफ ने तालिबान की कार्रवाई की निंदा की है और मांग की है कि वह इन पत्रकारों को रिहा करे और भविष्य में ऐसी कार्रवाई न करे।
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