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बिहार SIR मामला: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर जताई नाराज़गी!

Bihar Sir: नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची की ‘स्पेशल आइडेंटिफिकेशन एंड रेक्टिफिकेशन’ (SIR) प्रक्रिया से जुड़े एक मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की है। निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने अदालत को बताया कि जिन राजनीतिक पार्टियों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए शोर मचाया है, उन्होंने अब तक आयोग के समक्ष एक भी लिखित आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।

लाखों BLA, फिर भी एक भी आपत्ति नहीं

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के समक्ष निर्वाचन आयोग के वकील, राकेश द्विवेदी ने कई महत्वपूर्ण दलीलें पेश कीं। उन्होंने बताया कि बिहार में राजनीतिक दलों के पास 1 लाख 61 हज़ार बूथ लेवल एजेंट (BLA) हैं। एक बीएलए एक दिन में 10 आपत्तियों का सत्यापन और दाखिला कर सकता है। इसके बावजूद, किसी भी पार्टी ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।

आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, “एक ओर तो 1.61 लाख बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए गए हैं, फिर भी एक भी आपत्ति दाखिल नहीं हुई। वहीं, राजनीतिक पार्टियां खूब शोर मचा रही हैं, लेकिन सहयोग के नाम पर ज़ीरो हैं।”

कोर्ट ने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों की यह निष्क्रियता हैरान करने वाली है। अदालत ने सवाल उठाया कि “बीएलए नियुक्त करने के बाद वे क्या कर रहे हैं और लोगों तथा स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच इतनी दूरी क्यों है?” सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि राजनीतिक दलों को मतदाताओं की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

Bihar Sir: 65 लाख लोगों की सूची वेबसाइट पर जारी

पिछली सुनवाई में, कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को उन 65 लाख लोगों की सूची जारी करने का निर्देश दिया था, जिनके नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किए गए थे। आयोग को यह भी बताना था कि उनके नाम क्यों नहीं जोड़े गए।

आयोग ने अब सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर बताया है कि अदालत के निर्देशों का पालन कर लिया गया है। ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल न होने वाले इन 65 लाख लोगों की बूथ-वार सूची वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी गई है। इसके साथ ही, नाम शामिल न होने के कारणों का भी खुलासा किया गया है और यह जानकारी जिला स्तर की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

आयोग के वकील ने यह भी बताया कि यह जानकारी पंचायत और बीडीओ कार्यालयों में भी पोस्ट की गई है और सोशल मीडिया के ज़रिए भी साझा की गई है। उन्होंने कहा कि ये 65 लाख लोग डिजिटल माध्यम से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और सुधार के लिए फॉर्म 6 के ज़रिए दावा दाखिल कर सकते हैं।

कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें

सुप्रीम कोर्ट में आरजेडी की ओर से सांसद मनोज झा की याचिका में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए। वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी ने सात राजनीतिक पार्टियों की ओर से पक्ष रखा। सिब्बल ने स्पष्ट किया कि वह आरजेडी सांसद की याचिका में पेश हो रहे हैं, न कि पार्टी की ओर से।

इस पर चुनाव आयोग के वकील ने फिर दोहराया कि किसी भी राजनीतिक पार्टी ने लिखित में कोई आपत्ति जमा नहीं कराई है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति, कहीं से भी अपना नाम जोड़ने का दावा दाखिल कर सकता है और इसके लिए उसे बिहार आने की ज़रूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या भारतीय जनता पार्टी ने भी याचिका दाखिल की है, जिस पर सिब्बल ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “इसकी उम्मीद नहीं है!”

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इ-पेपर : Divya Sandesh

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