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BSP: मिशन से भटकी बहन जी: कुंवर फतेह बहादुर

'बहुजन भारत' के जरिए समाजसेवा का लक्ष्य

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राजेन्द्र के. गौतम

लखनऊ। नेताओं की कथनी-करनी और उनकी नस-नस से भली-भांति परिचित रिटायर्ड तेजतर्रार आईएएस कुंवर फतेह बहादुर अब बहुजन भारत के जरिए समाज सेवा का बीड़ा बुलंद किया है। कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के खास रहे, उनकी सरकार में कानून-व्यवस्था का इकबाल बुलंद करने वाले इस अफसर का अब ‘बहनजी’ की अपनी सत्ता बचाओ कार्यप्रणाली से मोहभंग हो गया है। वे बसपा (BSP) और सपा का वैचारिक समर्थन तो जरूर करते हैं, लेकिन पे बैक टू सोसाइटी यानी सामाजिक दायित्व के तहत अब ‘बहुजन भारत’ संगठन के जरिए अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ों को जगाने के लिए मैदान में कूद चूके हैं। मान्यवर कांशीराम जी की विचारधारा जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के संकल्प को बढ़ावा देने के लिए जनसम्पर्क अभियान चलाकर समाज को जागरूक कर रहे हैं। 1981 बैच के पूर्व आईएएस और बहुजन भारत सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर फतेह बहादुर ने निष्पक्ष दिव्य संदेश अखबार को दिए गए साक्षात्कार में कई सनसनीखेज खुलासे किए।

प्रश्न:-एक नौकरशाह के तौर पर आपकी उपलब्धि क्या रही?

उत्तर:-अखिल भारतीय सेवा (आईएएस) सेवा में आने के बाद जिस विभाग की जिम्मेदारी मिली, उसको भली-भांति ईमानदारी से निभाया। 2007 में प्रमुख सचिव गृह की जिम्मेदारी मिलने पर खूब काम किया। आज जब भी जनता में बसपा (BSP) सरकार के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था की चर्चा होती है तो लगता है कि मेरे द्वारा किए गए काम को पुरुस्कार मिल गया। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि मेरे प्रमुख सचिव गृह के पद पर रहते हुए यूपी में कोई भी दंगा-फसाद नहीं हुआ और नहीं कानून-व्यवस्था के साथ कोई खिलवाड़ हो पाया। इसके साथ ही एक पक्ष यह भी है कि मेरी कडक़ कार्यशैली के कारण आज भी मेरे आईएएस सेवा के कई नाराज हैं। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

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प्रश्न:-सेवानिवृत के बाद आपने बसपा और सपा ज्वाइन करने के पीछे क्या मंशा है?

उत्तर:-यह सही है कि रिटायरमेंट के बाद कुछ समय के लिए बसपा कार्यालय का काम-काज कुछ दिनों तक देखा था। लेकिन बसपा पार्टी की सदस्यता नहीं ली थी। लेकिन जब वहां की कार्यशैली देखी तो मन खिन्न हुआ। बसपा द्वारा दिए गए प्रवक्ता पद के लिए मना कर दिया था। इसके बाद 2019 में जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो लगा कि समता, समानता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय का आंदोलन मुखर होगा। सपा संविधान बचाने की लड़ाई लड़ रही है। अगर संविधान नहीं बचा तो दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकार खत्म हो जाएंगे। इस वजह से सपा को हमारे संगठन से समर्थन किया है। राजनीति के बजाए सामाजिक संगठन के जरिए समाज की सेवा की जाए। इसी वजह से 2020 में बहुजन भारत नामक एक सामाजिक संगठन का गठन किया गया है। इस संगठन के जरिए अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है।

प्रश्न:-बसपा सुप्रीमो मायावती से मोहभंग होने के क्या कारण हैं?

उत्तर:-2019 में बसपा ने बगैर किसी कारण के सपा से नाता तोड़ लिया था। इससे बहुजन समाज का काफी नुकसान हुआ। बहनजी से वैचारिक मोहभंग हुआ है। व्यक्तिगत आज भी मैं बहनजी का सम्मान करता हूं। बहनजी दलितों और पिछड़ों के उत्थान की बात करती हैं। लेकिन असलियत यह है कि उनके एजेंड़े पर अब यह वर्ग नहीं रह गया है। सिर्फ फारवर्ड वर्ग के लिए काम कर रही हैं। सामाजिक आंदोलन से निकली बसपा संघर्ष की राह भूल चुकी है। यूपी में मान्यवर कांशीराम जी के जमीनी संघर्ष और ईमानदारी से दलितों और पिछड़ों को एकजुट किया था। लेकिन बहनजी से वह सब तबाह कर दिया है। न तो दलितों को जोड़ पा रही हैं और न ही पिछड़ों को। इस वजह बसपा यूपी समेत कई राज्यों में तेजी से खत्म हो रही है।

प्रश्न:-बसपा को भाजपा की बी टीम कहा जाता है, इस पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

उत्तर:-मैं कोई बसपा (BSP) का प्रवक्ता नहीं हूं। लेकिन यह जरूर कह सकता हूं कि बसपा सुप्रीमो मायावती पर कोई न कोई दबाव है। उसकी के कारण यह मनोधारणा आम जनता में बन गई है कि बसपा भाजपा की बी टीम है।

प्रश्न:-सपा को लेकर आपकी क्या धारणा हैं?

उत्तर:-आपने नरम-गरम दल के बारे में सुना होगा। बसपा नरम है और सपा गरम है। इससे आप दोनों दलों के कार्यप्रणाली का बेहतर ढंग से अंदाजा लगा सकते हैं।

प्रश्न:-आपकी भविष्य की क्या योजना है?

उत्तर:-राजनीति के बजाए सामाजिक संगठन के जरिए समाज की सेवा करने का लक्ष्य है। भविष्य में क्या होगा, यह कह पाना मुश्किल है।


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