BSP: आकाश आनंद की आक्रामक प्रचार शैली से बहुजनों का बढ़ा जोश
नेशनल कोआर्डिनेटर ने भाजपा, कांग्रेस और सपा पर बोला तीखा हमला
निर्भय राज
BSP : लखनऊ। 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा की आक्रामक प्रचारशैली से जहां विपक्षी दल हैरान हैं वहीं परम्परागत वोट बैंक दलितों में खास तौर से युवाओं में जबरदस्त उत्साहवर्धन हुआ है। बसपा के उत्तराधिकारी और नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद द्वारा यूपी की कुछ शुरूआती रैलियों में भाजपा, कांग्रेस और सपा पर किए गए तीखे राजनीतिक हमलों से जनता और गैर बसपाई दल नोटिस में लेना शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक बसपा (BSP) सुप्रीमो मायावती के बाद उनके भतीजे आकाश आनंद को राजनीति का उभरता सितारा बता रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 2009 के लोकसभा के चुनाव से लेकर 2022 तक हुए यूपी समेत अन्य राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में बसपा तेजी से अपनी राजनीतिक जमीन और शाख खोई है। 2014 के बाद बसपा की छवि को भाजपा की बी टीम के रूप में भी प्रचारित करने का प्रयास गैरबसपाई दलों के नेताओं ने समय-समय पर किया है। 2024 के चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन ने खास तौर से कांग्रेस ने बसपा को शामिल कराने के लिए काफी हथकंडे अपनाए, लेकिन बसपा ने अपने पुराने गठबंधन के अनुभव के आधार पर इंडिया गठबंधन के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर एकल चलो का नारा दिया। बसपा (BSP) की इस घोषणा के बाद से प्रचारित किया जाने लगा कि बसपा ने पूरी तरह से भाजपा के आगे घुटने टेक दिए। साथ ही सर्वे भी बसपा को शून्य रिजल्ट का दावा करने लगे।
बसपा के नेशनल कोआर्डिनेटर यूपी में नगीना सीट से पहला प्रचार अभियान शुरू किया। इसके बाद कई सीटों पर बसपा के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार के दौरान भाजपा, कांग्रेस और सपा पर तीखे हमले किए। भाजपा के विकसित भारत के दावे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि 80 करोड़ को फ्री राशन बांटने से नहीं बनेगा। बसपा दावा करने के बजाए गरीबों को सशक्त बनाती है। इलेक्ट्रॉल बॉड के इश्यू पर कहते हैं कि बसपा कभी भी पूंजीपतियों से चंदा नहीं लेती है। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड के माध्यम से 16,500 करोड़ रुपये 25 राजनीतिक दलों को चंदा मिला एलेकिन इसमें बसपा का नाम नहीं था। बसपा पूंजीपतियों और धन्ना सेठों के सहारे नहीं, कार्यकर्ताओं के धन, मन, बल के बूते चुनाव लड़ रही है।
अपने भाषण में सपा और कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक लाल टोपी वाले नेता है। एक बार सायकिल का चक्कर लगाकर सत्ता में पहुंच गए। एक बार टोपी पहनी और फिर लोगों को टोपी पहना दी। जिन मुस्लिमों ने इनके लिए एकतरफा वोट डाला लेकिन उनके लिए लड़ नहीं सके। राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले भैया एक देश से दूसरे कोने तक जाकर भारत जोडग़ें। 70 सालों से तो कुछ नहीं हुआ अब कौन सा फेविकोल लिए हैं, जिससे भारत जोड़ेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नावेद शिकोह कहते हैं कि बसपा की राजनीति को लेकर हमेशा से विरोधाभास की खबरें आती रही हैं। अगर बसपा की राजनीति पर नजर डालें तो बसपा ने कभी भी लोकलुभावना वादा नहीं किया। बसपा की यूपी में चार बार सरकार रही है। तीन बार गठबंधन और एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार। बसपा गुड गर्वेनेंस के लिए जानी जाती है। बसपा के शासनकाल में कोई दंगा-फसाद नहीं हुआ और कानून-व्यवस्था को किसी को भी खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी। इन सब उपलब्धियों के बाद बसपा का राजनीतिक ग्राफ तेजी से नीचे आया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बनाया है। साथ ही पार्टी के प्रचार-प्रसार के लिए मैदान में उतार दिया है। बीते कुछ दिनों में आकाश आनंद द्वारा रैलियों में दिए गए स्पीच का विश्लेषण करने से यह संकेत मिल रहे हैं कि अपने वोट बैंक को उत्साहित करने के लिए आक्रामक प्रचार कर विपक्षी नेताओं पर खूब गरज-बरस रहे हैं। इससे बसपा का दलित वोट बैंक में जोश भर गया है। खास तौर से दलित युवाओं में जबरदस्त उत्साह आ गया है।
मात्र कुछ दिनों के अंदर ही आकाश आनंद बसपा की राजनीति में उभरते सितारे के रूप में सामने आए हैं। इसके साथ ही अकेले लड़ रही बसपा ने अपने टिकट वितरण में भी खूब सावधानी बरती है। यूपी में सुरक्षित सीटों पर मिशनरी और कॉडर वाले को प्रत्याशी बनाया है। साथ ही जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए फारवर्ड समाज में ठाकुर, ब्राह्मïण और बनिया को भागेदारी दी है। मुस्लिम समाज को भी पर्याप्त भागेदारी दी है। बसपा (BSP) का टिकट वितरण इस बार भाजपा, कांग्रेस और सपा पर भारी पड़ रहा है।
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