Corruption: “गांधी प्रेम” में डूबा नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग!
CM के विभाग में चल रहा है ‘अतिरिक्त चार्ज’ का खेल

- Corruption
- योगी के विभाग में “योग्यता” हारी, “मैनेजमेंट” जीता
- दलित अधिशासी अभियंता का हो रहा है उत्पीड़न!
- 7 साल से खाली हैं सीटीसीपी और सीरियर प्लॉनर का पद
राजेन्द्र के. गौतम
लखनऊ। ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा’ वाली यह कहावत उत्तर प्रदेश के नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग पर सटीक साबित होती है। मजेदार बात यह है कि शहरों और नगरों का मास्टर प्लॉन बनाने वाला यह महत्वपूर्ण विभाग बीते सात साल में अपना नियोजन करने के बजाए ‘अतिरिक्त चार्ज’ के खेल पर चल रहा है। पूर्ववर्ती सरकार में शुरू हुआ यह खेल आज भी जारी है। जहां सात साल से मुख्य नगर एवं ग्राम नियाजक, वरिष्ठï नियोजक और नगर नियोजक का पद खाली है वहीं पूर्ववर्ती सरकार में सेवा नियमावली 1987 को ताक पर रखकर ‘गांधी प्रेम’ से पाए नि:संवर्गीय पद और पदोन्नति वाले अफसर एक-एक नहीं, कई-कई पदों का अतिरिक्त चार्ज लेकर मौज मार रहे हैं। एक ओर शासन के आला अफसरों ने नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग में चल रहे गोरखधंधे पर आंख मूंद रखी है तो दूसरी ओर विभाग में चल रहे गड़बड़ झाले की हवा मुख्यमंत्री तक पहुंचने नहीं दे रहे हैं। आपको बताते चलें कि कुछ माह पूर्व नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग में चल रहे गोरखधंधे की शिकायत शासन में हुई थी।
ठंडे बस्ते में अनियमितताओं की शिकायतें
इस शिकायत में उल्लेख किया गया था कि विभाग की सेवा नियमावली 1987 में नियुक्ति एवं प्रोन्नति के लिए अनिवार्य अर्हताएं निर्धारित हैं। नियमों को ताक पर रखकर कृष्ण मोहन, अवधेश कुमार शर्मा, विशाल भारती, विवेक भाष्कर को पदोन्नति दी गई है। सबसे हैरतअंगेज बात यह है कि नि:संवर्गीय पद पर तैनात एक सहायक वास्तुविद नियोजक अनिल कुमार मिश्र को नियमों को ताक पर पदोन्नति दी गई। साथ ही मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक पद का अतिरिक्त चार्ज भी दे दिया। इस शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
‘अतिरिक्त चार्ज’ का खेल
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग में अतिरिक्त चार्ज का खेल खूब चल रहा है। अनिल कुमार मिश्र का मूल पद है नगर नियोजक/सहयुक्त नियोजक मुख्यलय का, लेकिन मुख्यनगर एवं ग्राम नियोजक के साथ वरिष्ठï नियोजक के पद का अतिरिक्त चार्ज है। इन महोदय का अक्टूबर में रिटायरमेंट है। रिटायरमेंट के बाद का प्लॉन भी तैयार कर लिया है। शासन के आला अफसरों के साथ मिलीभगत कर अब अपनी नियुक्ति सलाहकार के तौर पर करवाने की पैरवी शुरू कर दी है। अवधेश वर्मा का मूल पद नगर नियोजक लखनऊ का है, लेकिन संयुक्त नियोजक बरेली का भी चार्ज है। कृष्ण मोहन वास्तुविद नियोजक लखनऊ का मूल पद है, संयुक्त नियोजक मेरठ, एनसीओ, दिल्ली और सीसीपी एनसीआर सेल का अतिरिक्त चार्ज है। आर.के. उड्डïयन सहयुक्त नियोजक वाराणसी के मूल पद पर तैनात हैं, लेकिन अतिरिक्त चार्ज सहयुक्त नियोजक प्रयागराज, मिर्जापुर और लखनऊ का संभाल रखा है। श्रीमती स्मिता निगम सहयुक्त नियोजक आगरा के पद पर तैनात हैं, लेकिन अतिरिक्त चार्ज अलीगढ़ का भी है। हितेश कुमार सहयुक्त नियोजक लखनऊ के पद के साथ ही अतिरिक्त चार्ज अयोध्या का भी देख रहे हैं। गोरखपुर में तैनात सहयुक्त नियोजक नीलेश कटियार अतिरिक्त चार्ज के तौर पर आजमगढ़ देख रहे हैं। झांसी में तैनात रविंद्र कुमार के पास सहयुक्त नियोजक चित्रकूट का अतिरिक्त चार्ज है।
नगर एवं ग्राम नियोजक विभाग के सूत्रों का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार में पदोन्नति के नाम पर खूब खेल हुआ। इस खेल में तत्कालीन सचिव पंधारी यादव और नितिन रमेश गोकर्ण खूब बढ़ावा दिया। तमाम शिकायतों पर कोई भी कार्रवाई नहीं होने दी। दलित समाज के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार विभागीय सीरियरटी लिस्ट में न बर वन और मेरिट में 100 प्रतिशत अंक वालों को विभागाध्यक्ष नहीं बनाया। उलटे नियमों को ताक पर रखकर इनका तबादला नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से बाहर कर दिया गया। यही हाल वर्तमान प्रमुख सचिव पी. गुरू प्रसाद का है। विभाग में चल रहे गोरखधंधे के बारे में सब कुछ जानते हुए भी न तो कोई कार्रवाई की और न ही मुख्यमंत्री को बताया।
जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी
आवास एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव पी. गुरू प्रसाद और निदेशक अनिल कुमार मिश्र से इस संबंध में कई बार स पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।
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