बढ़ते ब्याज के कारण घर खरीदना हुआ मुश्किल
Interest rates : नयी दिल्ली। अचल सम्पत्ति बाजार का अध्यन एवं विश्लेषण करने वाली फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया की एक ताजा रपट में कहा गया है कि महंगाई की बढ़ती दर (inflation) मुद्रास्फीति पर अंकुश के लिए ब्याज दर बढ़ाने का हथियार मकानों की मांग प्रभावित कर सकता है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के एक ताजा अध्ययन के अनुसार हाल में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर रेपो में कुल मिला कर 0.90 प्रतिशत की बढोतरी घर खरीदारों के गृह ऋण की समान मासिक किस्तें बढ़ गयी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के तेज झटके से उबर कर अचल सम्पत्ति बाजार तेजी से सुधर रहा था और वर्ष 2021 में मकानों की वार्षिक बिक्री कोविड के पहले 2019 के स्तर को छूने के करीब पहुंच गयी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मकानों की मांग में सुधार एक बड़ी सीमा तक ऋण पर ब्याज के बहुत कम स्तर पर होने के कारण था। इससे लोगों को घर खरीदने में मदद मिल रही थी। लेकिन मुद्रास्फीति में तेज उछाल से केंद्रीय बैंक को ब्याज दरें बढ़ाने और बाजार से अतिरिक्त नकदी को अवशोषित करने पर मजबूर होना पड़ा है।’ नाइट फ्रैंक ने कहा है कि गृह ऋण की दरें इस समय भी कोविड19 महामारी के स्तर काफी नीचे हैं पर इनमें वृद्धि का असर ईएमआई और व्यय-वहनशीलता समूचकांक (ईएमआई और घरेलू आय का अनुपात) पर पड़ता है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि आवास ऋण की दर 0.50 प्रतिशत बढने पर ईएमआई राशि में 3.84 प्रतितशत की वृद्धि और व्यय-वाहनशीलता अनुपात में 1.11 प्रतिशत की कमी हो जाती है। यदि कर्ज 1.00 प्रतिशत महंगा हुआ तो ईएमआई राशि 7.76 प्रतिशत तक बढ़ जाती है और वहनशीलता सूचकांक 223 प्रतिशत कम हो जाता है। आवास ऋण 150 प्रतिशत महंगा होने पर ईएमआई राशि 11.73 बढती है और व्यय वहनशीलता 3.38 प्रतिशत कम हो जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों ने मई और जून में रेपो दर की समूची वृद्धि को ग्राहकों पर डाला तो दिल्ली-एनसीआर में एक करोड़ रुपये के कर्ज का ईएमआई जो रेपो बढ़ने से पहले 79,949 रुपये था, मई में बढ कर कर 82404 रुपये और अब 85,521 रुपये हो जाएगा।
इसी तरह मुंबई में दो करोड़ रुपये के कर्ज की ब्याज बढ़ने से पहले की 159898 रुपये की ईएमआई मई में 164807 रुपये और अब 171041 रुपये हो जाएगी। रिपोर्ट में इसी मान्यता के अनुसार 75 लाख रुपये के कर्ज की ईएमआई मई में 59962 रुपये से बढ़ कर 61803 और अब 64141 रुपये हो जाएगी।
आरबीआई ने मई के शुरू में और जून की समीक्षा में रेपो को लगातार क्रमश: 0.40 और 0.50 प्रतिशत बढ़ा दिया और रेपो दर इस समय 4.90 प्रतिशत हो गयी है। रेपो दर वह ब्याज है जो रिजर्व बैंक व्यावसायिक बैंकों को फैरी उधार पर वसूलता है। इसके बढ़ने से बैंकों के धन की लागत बढ़ जाती है और उन्हें कर्ज महंगा करना पड़ता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की मई के शुरू में हुई अप्रत्याशित बैठक में आरक्षित नकदी अनुपात (CRR) को 4.00 प्रतिशत से बढ़ा कर 4.50 प्रतिशत करने से बैंकों और अधिक नकदी रिजर्व बैंक के नियंत्रण में आ गयी।
नाइट फ्रैंक इंडिया की इस रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में नकारात्मक वास्तविक ब्याज दर का दायरा कम करने के लिए ब्याज दर में वृद्धि अभी जारी रखेगा। नकारात्मक ब्याज दर मुद्रास्फीति और रेपो के बीच का अंतर है।
सरकार द्वारा सोमवार को जारी प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार मई 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति घट कर 7.04 प्रतिशत रही जो 7.79 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को 2-6 प्रतिशत के दायरे में रखने को प्रयासरत रहता है।
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