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Etawah safari park : ‘आक्सीजन हब’ बन कर उभरा है इटावा सफारी पार्क

Etawah safari park : इटावा। भीषण गर्मी से समूचा उत्तर भारत इन दिनो तप रहा है वहीं उत्तर प्रदेश में चंबल के बीहड़ों में स्थापित इटावा सफारी पार्क आक्सीजन हब के रूप में लोगों को सुकुन भरी ठंडी हवाओं का अहसास करा रहा है।

सफारी पार्क के उपनिदेशक अरुण कुमार सिंह ने बुधवार को बताया कि इटावा और उसके आसपास अधिकांश बीहड़ क्षेत्र है। सफारी पार्क में ब्राडलीव, विभिन्न प्रकार की बडी पत्तियों वाले प्रजाति के पौधे रोपित किए गये है । इसके अलावा पूरा इलाका क्लोज होने के बाद पूर्व से जो रूटस्टाॅक था वो आज वृक्ष बन गए और वृक्ष बनने के कारण इटावा सफारी पार्क में इस समय ग्रीन कवर हो गया है ओर ग्रीन कवर होने का मतलब यह है कि यहाॅ पर आक्सीजन प्रचुर मात्रा में उत्पन्न हो रही है । जहां आक्सीजन की मात्रा अधिक होती है वहां स्वाभाविक रूप से एक माइक्रोक्लाइमेट विकसित हो जाता है।

उन्होने कहा कि यहां का तापमान गर्मियों में शहर के मुकाबले लगभग पांच डिग्री कम रहता है वहीं सर्दियों में अधिक रहेगा। यहां जो वनस्पतियां है वह एयर कंडिशनिग का काम करती है । इटावा सफारी पार्क के क्षेत्रीय वन अधिकारी विनीत कुमार सक्सेना कहना है कि सफारी में विभिन्न प्रजातियों के पेड पौधे हैं तथा भरपूर हरियाली है । यह पेड हमें आक्सीजन दे रहे हैं। जो प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक हैं। साढे तीन सौ हेक्टेयर का यह क्षेत्र पर्यावरण के हिसाब से एक आदर्श क्षेत्र बन चुका है। यह हमें खतरनाक प्रदूषण से बचाएगा ।

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इटावा सफारी पार्क में बडी तादात में लगाये गए पेडो के कारण ग्रीन कवर बन गया है जब कही ग्रीन कवर बन जाता है वहा पर आक्सीजन की मात्रा अपने आप मे अधिक होना शुरू हो जाता है। एक प्रौढ पेड़ 10 कूलर के बराबर ठंडक देता है । इटावा सफारी पार्क परिसर में बड़ी तादात में बरगद,पीपल और पाखर के पेडों का रोपण किया गया है । यह सब होने से लगातर तापमान गिर जाता है । जब वृक्ष उत्सर्जन करते हैं तो से वाष्प निकलती है जो वातावरण को ठंडा करती है। चूंकि शहर में वाहन चलाने के कारण के अलावा अन्य गतिविधियों के कारण वहां तापमान ज्यादा रहता है ।

इटावा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.भगवान सिंह का कहना है कि आक्सीजन मानवजीवन के लिए आवश्यक हैं। यह पेड पौघों से ही मिलती है। इसके साथ ही पेड कार्बन डाईआक्साइड को भी अवशोषित करते हैं। ऐसे समय में सफारी में पेडों की संख्या बढना बेहद उपयोगी है क्योकि इससे हमें जरूरी आक्सीजन मिलेगी।

पर्यावरण संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के चेयरमैन डॉ राजीव चौहान बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण से बचाने का एकमात्र साधन पेड ही हैं। यही पेड आक्सीजन देने के साथ ही प्रदूषण से भी बचाते हैं। सफारी में अच्छी संख्या में पेड हैं। इनके माध्यम से आक्सीजन मिलेगी जो बेहद उपयोगी है। पेडों की संख्या बढना सुखद है। जहा लोग गर्मी के चलते कराह रहे हैं तब इटावा सफारी यहां के लोगों के लिए वरदान के रूप में काम कर रहा है। यह न केवल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है बल्कि एक आक्सीजन हब के रूप में भी काम कर रहा है। यहां के पेड पौधे और हरियाली से न सिर्फ आक्सीजन मिल रही है बल्कि कार्बन डाईआक्साइड को भी अवशोषित कर रहे हैं।

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फिशर वन के 350 हेक्टेयर में सफारी फैली हुई है। यहां पांच सफारियां व ईको पर्यटन केन्द्र बनाए जाने के साथ ही हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए हैं और पूरे परिसर को हराभरा बना दिया गया है। जब यहां सफारी बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी तो बीहडी जमीन पर कांटेदार बवूल के पेड थे। सफारी का काम शुरू होने के साथ ही यहां एक ओर तो निर्माण कार्य शुरू कराए गए और दूसरी ओर पूरे परिसर को हरा भरा बनाने की कवायद भी शुरू हो गई । जहां की मिट्टी में पौधे नहीं लग रहे थे उस स्थान पर दूसरे स्थानों की मिट्टी लाई गई और उसमें पौध लगाए गए। इसका नतीजा यह है कि वर्तमान में पूरा सफारी परिसर हराभरा है।

यहां विभिन्न प्रजातियों के पेड भी लगाए गए जो फल फूल रहे हैं। घास भी उगी है। पीपल जैसे पेड भी सफारी में लगाए गए हैं जिन्हें आमतौर पर लोग घरों के आसपास नहीं लगाते हैं जबकि यह ऑक्सीजन का भंडार होते हैं। यह पेड न केवल आक्सीजन देंगे बल्कि कार्बन डाई आक्साइड को अवशोषित करने का काम भी कर रहे है। सफारी में जितनी संख्या में पेड पौधे लगाए गए हैं वे सिर्फ सफारी में ही नहीं बल्कि आसपास के पूरे क्षेत्र को भी फायदा पहुंचा रहे है।

सुबह तड़के बड़े पैमाने पर सैकड़ों की तादाद में लोग लायन सफारी इलाके में मॉर्निंग वॉक करने के लिए पहुंचते हैं। करीब दो किलोमीटर के इलाके में मॉर्निंग वॉक करने वालों को बखूबी देखा जा सकता है।


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