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Tariff: अमेरिकी टैरिफ से भारत की निटवेअर इंडस्ट्री पर संकट: तिरुपुर में 1.5 लाख नौकरियां खतरे में!

Tariff: तिरुपुर, भारत: भारत की निटवेअर राजधानी के नाम से मशहूर तमिलनाडु का तिरुपुर शहर, अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ (आयात शुल्क) के कारण एक बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से यहां के कपड़ा निर्यातकों को भारी झटका लगा है, जिससे करीब 1.5 लाख लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। इंडस्ट्री का अनुमान है कि इससे लगभग ₹12,000 करोड़ का सालाना निर्यात प्रभावित हो सकता है।

तिरुपुर की निटवेअर इंडस्ट्री: एक बड़ा हब

तिरुपुर भारत के कुल निटवेअर निर्यात में 68% का योगदान देता है। साल 2025 में इस शहर ने ₹44,747 करोड़ का निर्यात टर्नओवर दर्ज किया था और यह करीब 10 लाख लोगों को रोज़गार देता है। अमेरिका, तिरुपुर के कुल निर्यात का सबसे बड़ा खरीदार है, जो यहां के 40% माल को खरीदता है। लेकिन 27 अगस्त से लागू हुई 25% की अतिरिक्त ड्यूटी ने पूरी इंडस्ट्री की नींद उड़ा दी है।

बढ़ती लागत और कड़ी प्रतिस्पर्धा

तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (TEA) के अध्यक्ष, के.एम. सुब्रमण्यम के अनुसार, “एक ऑर्डर साइकिल लगभग 120 दिन का होता है, और ₹4,000 करोड़ मूल्य का एक ऑर्डर साइकिल पहले ही इस टैरिफ से प्रभावित हो चुका है।”

निर्यातक अब एक मुश्किल स्थिति में हैं कि बढ़ी हुई लागत का बोझ वे खुद उठाएं या अमेरिकी खरीदारों पर डालें। TEA के जॉइंट सेक्रेटरी, कुमार दुर्गासामी ने बताया कि पहले से ही वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारतीय निटवेअर 5-6% महंगा था। अब अतिरिक्त 25% शुल्क के बाद इस नुकसान को झेलना असंभव हो गया है। इस फैसले से न तो निर्यातक और न ही आयातक बच पाएंगे।

Tariff: नौकरियों पर मंडराता खतरा

तिरुपुर में लगभग 2,500 निर्यातक और 20,000 से ज्यादा कारखाने हैं, जिनमें बुनाई, डाईंग, पैकेजिंग, और सिलाई जैसी प्रक्रियाओं का एक बड़ा इकोसिस्टम शामिल है। अगर अमेरिका से आने वाले ऑर्डर्स में भारी कमी आती है, तो 1 से 1.5 लाख लोगों की आजीविका सीधे तौर पर प्रभावित होगी।

नए बाजारों की तलाश और उम्मीद

इस संकट से निकलने के लिए निर्यातक अब ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया जैसे नए बाजारों पर ध्यान दे रहे हैं। हाल ही में हुए यूके FTA और प्रस्तावित ईयू FTA से कुछ राहत की उम्मीद है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये बाजार अमेरिका की बड़ी मांग की भरपाई नहीं कर सकते।

हालांकि, के.एम. सुब्रमण्यम आशावादी हैं। उनका कहना है कि तिरुपुर का निटवेअर इकोसिस्टम विश्व स्तर पर बहुत खास है। “फैशन और निटवेअर के लिए उन्हें यहां आना ही पड़ेगा। यह एक ऐसा उद्योग नहीं है जिसे रातों-रात कहीं और खड़ा किया जा सके। इसलिए मुझे लगता है कि यह रुकावट ज्यादा लंबी नहीं चलेगी।”

सरकार से राहत पैकेज की मांग

निर्यातक समुदाय ने राज्य और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तिरुपुर की अर्थव्यवस्था को बचाने की अपील की है और ब्राजील की तर्ज पर एक विशेष सहायता पैकेज देने का सुझाव दिया है।

निर्यातकों ने अपनी मांग में दो साल के लिए लोन मोरेटोरियम (लोन भुगतान में छूट), क्रेडिट लिमिट को 20-30% तक बढ़ाने, और फैक्ट्रियों को चालू रखने के लिए सब्सिडी देने का आग्रह किया है। इसके साथ ही, रेटिंग एजेंसियों से यह भी अपील की गई है कि वे इस संकट से प्रभावित कंपनियों की रेटिंग में कटौती न करें। फिलहाल, ₹2,000-₹3,000 करोड़ के शिपमेंट अटके हुए हैं और अमेरिकी आयातकों के साथ बातचीत जारी है।

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इ-पेपर : Divya Sandesh

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