एनजीटी के निर्देशों को ताक पर रखकर गोमती रिवर फ्रंट पर होगा गोमती पुस्तक मेला
- Gomti River Front
- नेशनल बुक ट्रस्ट के तत्वाधान में 29 अक्टूबर से लेकर 5 नवम्बर तक कार्यक्रम
- 8 दिवसीय पुस्तक मेले में लाखों की भीड़ जुटने की संभावना
- एलडीए ने दी अनुमति, बाकी विभाग जुटे तैयारियों में
- आर्ट ऑफ लिविंग पर लग चुका है जुर्माना
एनडीएस ब्यूरो
लखनऊ। अगर आप सूबे की नौकरशाही के एसपीजी प्रोटेक्टेड अफसर हैं तो नियम-कानून को ताक पर रखकर कुछ भी कीजिए सारे गुनाह माफ हो जाएंगे। ऐसे अफसरों के हौंसले इस तरह बुलंद हैं कि राष्ट्रीय हरित अभिकरण (NGT) के नियमों को ताक पर रखकर गोमती रिवर फ्रंट (Gomti River Front) पर गोमती पुस्तक मेला कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति प्रदान की है। इससे जहां गोमती रिवर फ्रंट की जैव विविधता प्रभावित होने की संभावना है वहीं हरियाली भी खतरे में है। जहां एलडीए के जि मेदार अफसरों का कहना है कि गोमती नदी पर आयोजन के लिए एनजीटी के किसी भी नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा है, इसलिए अनुमति दी है, वहीं पर्यावरण विभाग ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। जबकि पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है गोमती नदी की परिस्थितिकी पहले ही खराब की जा चुकी है, अब इससे ज्यादा खराब होने की उम्मीद नहीं है।
जैव परिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने में लगा चुका है श्रीश्री रवि शंकर पर जुर्माना उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) ने आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रवि शंकर ने वर्ष 2016 में वल्र्ड कल्चरल फेस्टिवल का आयोजन दिल्ली में यमुना नदी के किनारे किया था। इस मामले की एनजीटी में शिकायत होने पर यमुना नदी की जैव परिस्थितिकी को प्रभावित करने पर भारी जुर्माना लगाया था। अंतता: आर्ट ऑफ लिविंग को जुर्माना अदा करना पड़ा था। |
बताते चलें कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने रेनेंसा होटल (renaissance hotel) के ठीक सामने गोमती रिवर फ्रंट पर नेशनल बुक ट्रस्ट के अनुरोध पर 29 अक्टूबर से लेकर 5 नव बर तक गोमती पुस्तक मेला आयोजन करने की अनुमति प्रदान की है। पुस्तक मेेले की तैयारियों को लेकर गोमती रिवर फ्रंट पर बड़े-बड़े मंच बन रहे, शामियाना लगाया जा रहा है। हरियाली को रौंदा जा रहा है। गोमती नदी की जैव विविधता प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही नगर निगम सफाई व्यवस्था और एलडीए अनुमति के साथ बिजली प्रबंधन के मामलों को निपटाने में जुटा है। इसके अलावा अन्य सरकारी तंत्र कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मीटिंग पर मीटिंग कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार गोमती पुस्तक मेला में लाखों की भीड़ शामिल होने की संभावना है। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि गोमती नगर की जैव परिस्थितिकी पर क्या प्रभाव पडऩे वाला है।
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) के प्रोफेसर और पर्यावरणविद डा. वेंकेटेश दत्ता का कहना है कि लखनऊ की जीवनदायिनी गोमती नदी की जैव परिस्थितिकी को पूर्ववर्ती सरकारें नुकसान पहुंचा चुकी हैं। अब और ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं है। इससे पूर्व गोमती नगर के किनारों पर कार्तिक मेला, पर्वतीय मेला, डिफेंस एक्सपो और अब पुस्तक मेला का आयोजन होने जा रहा है। इससे कोई प्रभाव पडऩे की संभावना नहीं है। बल्कि युवाओं को पुस्तक मेले से लाभ होने की संभावना है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया (National Book Trust, India) ने गोमती रिवर फ्रंट गोमती पुस्तक मेला आयोजन में एनजीटी के किसी भी नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा है, इसलिए अनुमति दी है। न तो हरियाली नष्टï हो रही है और न ही कोई पेड़ क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। वन एवं पर्यावरण सचिव अशीष तिवारी (IAS Ashish Tiwari) ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली। इस मुद्दे पर मण्डलायुक्त रोशन जैकब (IAS Roshan Jacob) से संपर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।
Gomti River Front
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