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I Watch India: नाम भी शर्मिंदा है ‘श्यामल’ के काले कारनामों से

‘पुलिसवाली बीवी’ की काली कमाई से चल रही है भड़ास फॉर जर्नलिस्ट डाट कॉम नामक नकली वेबसाइट

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  • उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने की शासन में शिकायत
  • आई वाच साप्ताहिक अखबार के घोषणा पत्र में फर्जीवाड़ा करते हुए प्रिंटिंग प्रेस टिन टिन प्राइवेट लिमिटेड दिखाया
  • ब्लैकमेलरों के संगठित गिरोह के कारनामों की शासन कर रहा है जांच

लखनऊ। इस चेहरे को पहचान लीजिए। भले ही यह चेहरा मासूमियत से भरा दिखता हो, लेकिन इसका अपना नाम ‘श्यामल’ भी इसके स्याह कारनामों से शर्मिंदा है।  जीवन के हर क्षेत्र में फेल और फ्लाप यह डीटीपी ऑपरेटर अपनी ‘पुलिसवाली बीवी’ की काली कमाई के जरिए जहां ब्लैकमेलिंग के लिए भड़ास फॉर जर्नलिस्ट डाट कॉम  नामक नकली वेबसाइट का संचालन कर रहा है वहीं एक संगठित गिरोह के जरिए प्रशासनिक अफसरों, पत्रकारों और नेताओं के खिलाफ फर्जी खबरें प्रकाशित कर छवि के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस गिरोह के काले कारनामों की तमाम शिकायतें शासन स्तर पर हुई हैं, जिसकी जांच चल रही है। कोई कार्रवाई न होने से संगठित गिरोह के हौंसले बुलंद हैं।

बताते चले कि राजधानी लखनऊ में प्रशासनिक अफसरों, पत्रकारों, व्यवसायी, नेताओं के खिलाफ आरटीआई लगाना और आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायतें करवाने के साथ ही भड़ास फॉर जर्नलिस्ट डाट कॉम नामक नकली वेबसाइट पर खबरें प्रकाशित करवा कर छवि धूमिल कर ब्लैकमेलिंग करने का एक गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह के गुर्गे राजधानी के पॉश इलाके के गणमान्य नागरिक, अधिकारी, व्यवसायी, पत्रकारों और नेताओं को टारगेट करते हैं। इस गिरोह में कुछ पत्रकारिता का चोला ओढ़े कुछ तथाकथित पत्रकार, अपराधिक रिकार्ड वाले वकील, आरटीआई एक्टिविस्ट शामिल हैं। इनमें से कुछ जेल की हवा खा चुके हैं और कुछ के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमें कायम हैं। इस संगठित गिरोह की मॉडस अपरेंडी यह है कि आमजन मानस पर आतंक कायम करने के लिए पहले शासन पर स्तर पर फर्जी शिकायतें करते हैं।

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श्यामल कुमार त्रिपाठी

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फिर भड़ास फॉर जर्नलिस्ट डाट कॉम नामक नकली वेबसाइट पर फर्जी खबरें प्रकाशित कर माहौल बनाते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री के आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज करते हैं। इसके बाद जब सरकारी तंत्र सक्रिय होता है तो इस गिरोह के संगठित सदस्य पीडि़त व्यक्ति से वसूली के लिए समझौते का दबाव बनाते हैं। इस तरह के सैंकड़ों मामले राजधानी के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। जिनकी विवेचना जारी है। राजधानी के अधिकतर थानों के पुलिस अधिकारी इस गिरोह के मॉडस अपरेंडी से भली-भांति परिचित हैं। कुछ पुलिस अफसरों के ऊपर इन गिरोह के सदस्यों ने 156 तीन के तहत मुकदमें दर्ज करवा रखे हैं।  कई थानों के पुलिस कर्मी और एलआईयू के अफसरों भी इस गिरोह के काले कारनामों रिकार्ड अपने आला अफसरों को दिया है। लेकिन कार्रवाई नहीं होने से ये पुलिस कर्मी और एलआईयू वाले भी हत्तोसहित हैं।

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डीटीपी अपरेटर श्यामल कुमार त्रिपाठी ने पत्रकार बनने के लिए हर हथकंडे अपनाए लेकिन सफल नहीं हो पाया। कुछ छोटे अखबारों में पेज बनाए। लेकिन सफल नहीं हो पाया। इसी खुंदक में वर्ष 2009 में आई वॉच नामक एक साप्ताहिक द्विभाषी अखबार का रजिस्ट्रेशन करवाया। जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर यूपीबीआईएल/2009/03429 है। अपने साम, दाम, दण्ड, भेद और फर्जीवाड़े के जरिए इस साप्ताहिक अखबार चलाने का प्रयास किया। लेकिन सफल नहीं हो पाया। सबसे खास बात यह है कि अपने आई वाच साप्ताहिक अखबार के घोषणा पत्र में फर्जीवाड़ा करते हुए प्रिंटिंग प्रेस टिन टिन प्राइवेट लिमिटेड दिखाया है। जबकि प्रिंटिंग प्रेस टिन टिन प्राइवेट लिमिटेड के प्रबधंकों का कहना है किसी भी प्रकाशक को ऐसा घोषणा पत्र नहीं दिया है। अगर कोई तथ्य प्रकाश में आते हैं तो उसकी शिकायत कर कार्रवाई कार्रवाई जाएगी।

उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सदस्य दिलीप सिन्हा समेत कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इस संगठित गिरोह की शिकायत शासन में की है। शासन के सूत्रों का कहना है कि इस संगठित गिरोह की जांच शुरू हो गई है। इस प्रकरण पर डीटीपी अपरेटर श्यामल कुमार त्रिपाठी से वाट्सअप पर मैसेज और कॉल के जरिए सम्पर्क करने का कई बार प्रयास किया गया। लेकिन जवाब नहीं आया।

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