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मलिहाबादी आम पर संकट! जलवायु परिवर्तन से मिठास खो रहा है ‘फलों का राजा’

किसान परेशान, आम की खेती छोड़ रहे, जानें कैसे मौसम का मिजाज बिगाड़ रहा है आम का स्वाद

Mango: लखनऊ: अपने मीठे और रसीले आमों के लिए जाना जाता है, जिनमें मलिहाबादी आम का नाम सबसे ऊपर है. लेकिन, जलवायु परिवर्तन की वजह से इस ‘फलों के राजा’ (King of Fruits) पर संकट के बादल छाए हुए हैं. किसान अब आम की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. आइए जानते हैं कैसे मौसम का बिगड़ता मिजाज मलिहाबादी आम के स्वाद और पैदावार को प्रभावित कर रहा है.

कम निर्यात, घटती आमदनी और मौसम की मार

किसानों का कहना है कि सिर्फ कम निर्यात और स्थानीय मंडी में कम दाम ही समस्या नहीं हैं, बल्कि असल मुसीबत है मौसम में हो रहे बदलाव. पहले जनवरी में कड़ाके की ठंड पड़ती थी और मार्च में मौसम सुहाना रहता था, जो आम की फसल के लिए आदर्श माना जाता था. लेकिन अब जनवरी में ज्यादा ठंड नहीं पड़ती और मार्च में ही तेज गर्मी पड़ जाती है. इससे आम के फूल और फल प्रभावित होते हैं.

विशेषज्ञों की राय: तापमान का उलटफेर घातक

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि आम की खेती के लिए मार्च तक दिन का तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इससे ज्यादा तापमान होने पर फूल समय से पहले आ जाते हैं और परागण नहीं हो पाता. इससे आम की पैदावार घट जाती है. इतना ही नहीं, तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव से आम के पेड़ों में खर्रा रोग का भी खतरा बढ़ जाता है.

बारिश का कहर: मिठास खो रहा आम

मई-जून में उत्तर प्रदेश में लू चलने का सीजन होता है, जो आम की मिठास बढ़ाने में मदद करता है. लेकिन पिछले कुछ दशकों से मई-जून में ही कई बार बारिश हो जाती है. पिछले दो सालों में तो जून में आठ बार बारिश हो चुकी है. इससे आम की मिठास में 30-40% तक की कमी आ जाती है.

समाधान खोजने की जरूरत

मलिहाबादी आम ना सिर्फ लखनऊ की पहचान है, बल्कि पूरे देश में सराहा जाता है. इस अनमोल फल को बचाने के लिए जरूरी है कि सरकार, कृषि वैज्ञानिक और किसान मिलकर काम करें. जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाए जाएं और किसानों को नई तकनीकें सिखाई जाएं, ताकि यह मीठा स्वाद आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचता रहे.

Mango


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इ-पेपर : Divya Sandesh

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