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kashmir terrorism : कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे में एनआईए की महत्वपूर्ण भूमिका: शाह

नयी दिल्ली। kashmir terrorism केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने देश और विशेष रूप से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे में महत्वपूर्ण योगदान देकर केंद्र की मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की लक्ष्य सिद्धि को पूरा करने में सहयोग किया है।

kashmir terrorism : कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे में एनआईए की महत्वपूर्ण भूमिका

श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए एनआईए को किसी भी तरह की ओर कोई भी मदद देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने गुरुवार को यहां एनआईए के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के जड़ से सफाये के लिए वहां टेरर फंडिंग पर प्रहार जरूरी था और एनआईए ने यह भूमिका भली-भांति निभाई है। एजेंसी ने टेरर फंडिंग के 105 मामले दर्ज किए हैं और उनसे आतंकवाद पर नकेल लगाने में सफलता मिली है।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में भारत का हर क्षेत्र में वर्चस्व बढ़ा है और पर्यावरण से लेकर आर्थिक क्षेत्र तथा आतंकवाद से निपटने में भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए देश में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति को बेहद मजबूत बनाए जाने की जरूरत है और इसके लिए एनआईए जैसी एजेंसी को संकल्प लेकर लक्ष्य को हासिल करने का रोडमैप बनाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को 50 खरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है, इसे भी पुख्ता आंतरिक सुरक्षा के बल पर ही हासिल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि एनआईए ने 13 वर्ष के अपने छोटे से कार्यकाल में आदर्श मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए 93.25 प्रतिशत की दोष सिद्धि दर हासिल की है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि अब एनआईए को अंतरराराष्ट्रीय जांच एजेंसी का दर्जा हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए और इसके लिए उसे एक व्यवस्था बनानी होगी जिसमें सूचना तथा अन्य पहलुओं को संस्थागत रूप देना होगा। उन्होंने कहा कि एनआईए देश भर की जांच एजेंसियों के लिए प्रेरणा स्रोत है, इसलिए उसे सभी एजेंसियों के साथ तालमेल बढ़ाकर राष्ट्रीय ग्रिड बनाने की तरफ बढ़ना चाहिए।

श्री शाह ने कहा कि आतंकवाद दुनिया में सबसे बड़ा अभिशाप है और उनका मानना है कि आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि आतंकवाद का खात्मा और मानवाधिकारों की रक्षा परस्पर विरोधाभासी नहीं है। आतंकवाद का खात्मा कर मानवाधिकारों की रक्षा व्यापक स्तर पर की जा सकती है।

उन्होंने एनआईए से अपनी जांच पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन करने का आह्वान करते हुए कहा कि अब थर्ड डिग्री के बजाय जांच की पद्धति तकनीक और सूचना पर आधारित होनी चाहिए और इसकी मदद के लिए राष्ट्रीय स्तर पर डेटाबेस भी बनाया जाना चाहिए। इस मौके पर एनआईए के महानिदेशक कुलदीप सिंह तथा गृह मंत्रालय और अन्य एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे


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