विधायक राम दुलार की विधानसभा सदस्यता रद्द: नाबालिग के दुष्कर्म के दोषी करार
राम दुलार के मामले में सोनभद्र: न्यायिक प्रक्रिया में तेजी और राजनीतिक घमासान
Legislator: लखनऊ, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में विधायक राम दुलार की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है, जिसका कारण है नाबालिग के साथ किए गए दुष्कर्म के दोषी पाए जाने का आरोप। यह मामला सोनभद्र की विशेष अदालत द्वारा सुनाया गया है, जिसमें राम दुलार को 15 दिसम्बर से विधानसभा के लिए निरर्ह माना गया है।
इस मामले में प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें कहा गया है कि राम दुलार को 15 दिसम्बर से विधानसभा के लिए नामंजूर माना जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, उत्तर प्रदेश विधान सभा में उनकी सीट 15 दिसम्बर से खाली हो गई है।
राम दुलार के खिलाफ वर्ष नवंबर 2014 में बलात्कार और पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। सोनभद्र की विशेष अदालत ने 15 दिसंबर को राम दुलार को नाबालिग से बलात्कार के अपराध में दोषी ठहराते हुए उन्हें 25 साल कैद और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इस फैसले के खिलाफ राम दुलार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे रोक नहीं दिया और 25 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए तारीख तय की है।
न्यायालय ने विधायक के ओर से सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर निचली अदालत के रिकार्ड तलब किए हैं। साथ ही राज्य सरकार से भी अपील पर चार सप्ताह में जवाब मांगा गया है। न्यायालय ने विपक्षियों को भी नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।
इस मामले में न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने यह आदेश दिया है, जिससे साफ है कि न्यायिक प्रक्रिया को तेजी से अग्रसर किया जा रहा है और न्यायालय ने विभिन्न प्रतिकृयाएं जारी की हैं ताकि मुकदमे की गति में देरी न हो।
इस मामले के चलते सोनभद्र में राजनीतिक घमासान हुआ है और यह सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। राम दुलार के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे ने समाज में सवाल उठाए हैं और इसने विभिन्न राजनीतिक दलों को एक साथ आने पर मजबूर किया है।
इस घड़ीचक्कर में राजनीतिक दलों को समझना होगा कि कैसे वे इस मामले को अपने स्वार्थों के लिए नहीं बल्कि न्याय और समाज की भलाइयों के लिए समर्पित रूप से नियोजित कर सकते हैं।
आखिरकार, यह मामला न केवल एक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि समाज की सामाजिक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है, जिस पर न्यायिक प्रक्रिया द्वारा विचार किया जा रहा है।
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